इंदौर। हत्या के प्रयास के दोषी कांग्रेस के पूर्व विधायक बालमुकुंद गौतम, उनके दो भाई सहित छह लोगों को विशेष न्यायालय ने सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साक्ष्य के अभाव में तीन आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
हंगामे की आशंका के चलते शनिवार शाम विशेष न्यायालय द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले ही जिला न्यायालय में कई थानों से पुलिस बल बुला लिया गया था। पुलिस के आला अधिकारी भी जिला न्यायालय पहुंच गए थे।
दरअसल, इस मामले में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। बालमुकुंद द्वारा दूसरे पक्ष के जिन 13 लोगों के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज कराया था, उनको साक्ष्य के अभाव में विशेष न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया। घटना दो जून 2017 की रात करीब 9.40 बजे की है।
पीथमपुर पुलिस थाने में फरियादी चंदन सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह घाटाबिल्लोद में अपने घर पर था कि आरोपित बालमुकुंद गौतम, राकेश गौतम, मनोज गौतम, पंकज गौतम, वीरेंद्र उर्फ पम्मू सिंह, राजेश सिंह, चंद्रभूषण कुशवाहा, जितेंद्र सिंह और शैलेंद्र उर्फ पिंटू जायसवाल के साथ आए और पुराने विवाद को लेकर मारपीट करने लगे।
आरोपियों ने विवाद के दौरान गोली भी चलाई, जो चंद्रभूषण, सुरेश सोलंकी और एक अन्य को लगी। पुलिस ने इस मामले में सभी नौ आरोपियों के खिलाफ हत्या के प्रयास का प्रकरण दर्ज किया था।
शनिवार को विशेष न्यायाधीश मुकेश नाथ ने नौ में से छह दोषियों को हत्या के प्रयास में सात-सात वर्ष कठोर कारावास और आठ-आठ हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया। विशेष न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में चंद्रभूषण, जीतू और शैलेंद्र उर्फ पिंटू को बरी कर दिया। इन तीनों की ओर से एडवोकेट अजय शंकर उकास ने पैरवी की थी।
बालमुकुंद ने भी लिखवाई थी हत्या की रिपोर्ट
इसी मामले में बालमुकुंद गौतम ने भी दूसरे पक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें कहा था कि आरोपी चंदन सिंह, अर्जुन, अर्जुन पुत्र बद्री, कैलाश सोलंकी, सुरेश सोलंकी, बहादुर, समंदर, घनश्याम राजपूत, महेंद्र सिंह, राहुल, रघुनाथ, इंदर सिंह और अर्जुन राजपूत ने उस पर और उसके साथियों पर गोली चलाई।
इसमें घनश्याम उर्फ बबलू चौधरी नामक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हालांकि हत्या का आरोप सिद्ध नहीं हो सका। विशेष न्यायालय ने इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
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