इंदौर। सरकारी विभागों के दफ्तरों में जोरशोर से शुरू की गई जनसुनवाई को लेकर एक बार फिर लापरवाही नजर आने लगी है। ज्यादातर सरकारी विभागों में या तो जनसुनवाई बंद कर दी गई है या जहां हो रही है वहां भी सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। यही वजह है कि जनसुनवाई को लेकर आमजन भी उदासीन हो गए हैं। है। वे समझ गए हैं कि जनसुनवाई में समस्या का त्वरीत समाधान सिर्फ एक नारा है ऐसा होता नहीं है।
एमजीएम मेडिकल कालेज, एमवाय अस्पताल, नगर निगम ये उन सरकारी जगहों के नाम हैं, जहां किसी समय जनसुनवाई में अच्छी खासी भीड़ होती थी। प्रत्येक मंगलवार इन जगहों पर लोगों का हुजूम उमड़ता था ताकि वे अपनी शिकायतें, दिक्कतें अधिकारियों को बता सकें और समाधान पा सकें, लेकिन इन दिनों इन सभी जगहों पर मंगलवार को सन्नाटा पसरा रहता है।
वजह है कि जनसुनवाई बंद कर दी गई। नियम बनाया गया था कि जनसुनवाई में संबंधित यूनिटों के प्रमुख भी मौजूद रहेंगे ताकि मौके पर ही समस्या का समाधान किया जा सके। कुछ दिन ऐसा हुआ भी, लोगों को राहत मिलने भी लगी थी।
निगमायुक्त ने शुरू कराई जनसुनवाई, लेकिन लोग ही नहीं आए
नगर निगम में भी कई महीनों से जनसुनवाई बंद थी। कुछ दिन पहले ही निगमायुक्त हर्षिकासिंह ने इसे दोबारा शुरू करवाया। पहली जनसुनवाई में आई ज्यादातर शिकायतें जल वितरण को लेकर थीं। इसके बाद अगली जनसुनवाई से लोगों की भीड़ ही कम हो गई। फिलहाल स्थिति यह है कि इक्का-दुक्का शिकायतें ही जनसुनवाई में पहुंच रही हैं। यही वजह है कि अधिकारियों की रूचि भी जनसुनवाई को लेकर कम हो गई है।
मेडिकल कालेज और एमवायएच में भी लगभग यही स्थिति है। दोनों ही जगह सभागृह में जनसुनवाई होती थी लेकिन फिलहाल इन दोनों ही जनसुनवाई पूरी तरह से बंद है। अगर कोई शिकायत लेकर पहुंचता भी है तो उसे संबंधित के दफ्तर भेज दिया जाता है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.