बालाघाट। जिले के तीन बैगा कलाकार रविवार को दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से सौजन्य भेंट करेंगे। प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन (विशेष व कमजोर जनजातीय समूह) के तहत प्रदेशभर से विशेष पिछड़ी जनजाति भारिया, सहेरिया और बैगा जनजाति के 20-20 कलाकारों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है।
तीनों कलाकार दिल्ली के लिए रवाना
बालाघाट से पारंपरिक हस्तशिल्प बनाने वालीं गोमती टेकाम (समनापुर), राजिन मरावी (हीरापुर, गढ़ी), करमा गायक तथा सांस्कृतिक दल के संचालक छन्नू सिंह मरकाम (ग्राम लगमा) का चयन हुआ है। तीनों कलाकार शनिवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गए। राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान तीनों बैगा कलाकार मुंजा घास से बनी बीरन माला राष्ट्रपति को भेंट करेंगे। बीरन माला को गोल्डन माला के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा चांदी के सिक्कों वाली विशेष माला आदि सामग्री भेंट की जाएगी।
रहन-सहन, परंपरा-शिक्षा पर चर्चा करेंगी राष्ट्रपति
जनजातीय कार्य विभाग के क्षेत्र संयोजक प्रशांत कावड़े ने बताया कि प्रदेश की विशेष पिछड़ी जनजाति के कलाकारों का चयन राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए किया गया है। दिल्ली में राष्ट्रपति इन बैगा कलाकारों से उनसे उनके जिले में जनजातीय समुदाय की स्थिति, रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा, परंपरा, शिक्षा की स्थिति व रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी लेंगी। इसके बाद सभी कलाकार संभवत: दिल्ली का भ्रमण करेंगे। जिले के जनजातीय कार्य विभाग द्वारा जिले से बैगा जनजाति के कलाकारों के चयन की प्रक्रिया मई में शुरू की गई थी। कोविड व स्वास्थ्य परीक्षण सहित अन्य प्रक्रियाओं के बाद कलाकारों ने दिल्ली रवाना किया गया है।
क्या है बीरन माला
सोने की माला जैसी दिखने वाली बीरन माला दरअसल, विशेष किस्म की मुंजा या मुआ घास से बनाई जाती है। इसके रेशे से ही ये माला बनाई जाती है। कलाकार छन्नू सिंह मरकाम ने नईदुनिया से चर्चा के दौरान बताया कि बीरन माला बैगा समुदाय में प्रचलित है। पहले बांस को छीलकर छल्ले बनाए जाते हैं। उन छल्लों को मुंजा घास के रेशे से गूथा जाता है। बताया गया कि इस बीरन माला को विवाह, पर्व या अन्य उत्सवों में बैगा महिलाएं सिर पर पहनती हैं। जिले के कलाकारों के चयन पर नागा बैगा नागा बैगिन, बैगा समाज संगठन ने उन्हें बधाई दी है। कलाकारों को दिल्ली रवाना करते समय बैगा समाज संगठन के अध्यक्ष साधुराम झुमाड़िया सहित अन्य मौजूद रहे।
क्या है प्रधानमंत्री पीवीटीजी मिशन
वित्त मंत्री ने 2023-24 केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन की घोषणा की थी। गृह मंत्रालय ने 75 जनजातीय समूहों को पीवीटीजी के लिए रूप में वर्गीकृत किया है। मिशन से परिवारों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेजयल, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इस मिशन से देशभर के 3.5 लाख आदिवासियों को लाभ मिलेगा। ये जनजातीय समूह देश के 18 राज्यों व अंडमान व निकोबार द्वीपसमूहों में पाए जाते हैं।
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