अब महिला सांसद रंजीता से पुलिस ने की धक्का-मुक्की, बोलीं-वीरांगनाओं को अस्पताल में बना रखा है बंधक

अस्पताल पहुंचीं सांसद रंजीता को वीरांगना ने बताया नहीं मिलने दे रहे बच्चों से। अस्पताल में पुलिसकर्मियों से जमकर हुई धक्का-मुक्की, सांसद के हाथ और कमर में आई चोट।

राजस्थान के भरतपुर जिले में नगर कस्बा अस्पताल में भर्ती शहीद जीतराम गुर्जर की वीरांगना की पत्नी से मिलने सांसद रंजीता कोली पहुंचीं। जहां पुलिस से सांसद रंजीता कोली और उनके समर्थकों में जमकर धक्का-मुक्की हुई। जिसके बाद सांसद के समर्थक अस्पताल में ही धरने पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे, लेकिन काफी हंगामे के बाद भी सांसद वीरांगना से नहीं मिल पाई।

आज सुबह ही शहीद की वीरांगना सुंदरी देवी, देवर विक्रम और बेटी सुमन को पुलिस सुबह उनके घर से ले आई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। इस दौरान पूरे अस्पताल को छावनी बना दिया गया और किसी को भी वीरांगना या अस्पताल में मौजूद उसके परिजन से नहीं मिलने दिया गया।

शाम करीब 6 बजकर 30 मिनट सांसद रंजीता कोली वीरांगना से मिलने पहुंचीं, सांसद के साथ उनके समर्थक भी मौजूद थे। इसके बाद सांसद वीरांगना से मिलने के लिए जाने लगीं तभी वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोका, पुलिसकर्मियों को रोकते ही, सांसद के समर्थक, सांसद की सिक्युरिटी और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई।

वीरांगना सुंदरी को परिवार और बच्चों से रखा दूर

हंगामे के बाद सांसद रंजीता कोली ने कहा कि सुंदरी से जब मैंने पूछा कि क्या उसकी तबीयत खराब है तो सुंदरी ने बताया कि उसको कुछ नहीं हुआ है। उसका कहना था कि मुझे मेरे बच्चों के पास लेकर जाइए, जिसके बाद बाहर तैनात सिक्युरिटी से मैंने रिक्वेस्ट की, सुंदरी को बच्चों के पास छोड़ दिया जाए। क्योंकि सुंदरी को बंधक बनाकर रखा है ये सरासर गलत है, जब मैंने सुंदरी को उसके घर ले जाना चाह तो, मेरे ऊपर हमला किया गया, मेरे हाथ में चोट आई है और मेरी चेन भी गिर गई है, जबकि किसी महिला को इस तरह से नहीं पकड़ सकते, पूरे देश में वीरांगनाओं का सम्मान करते हैं, और उसी वीरांगना का हाथ पकड़कर खींचना यह गलत है। वह अपने बच्चों के पास जाना चाहती है। कौन सी किताब में लिखा है कि कोई कहीं भी इलाज नहीं करवा सकता। वैसे भी जब सुंदरी को कोई परेशानी नहीं है तो उसे अस्पताल में क्यों बंधक बना कर रखा हुआ है। पहले तो राजस्थान में महिलाओं के ऊपर अत्याचार होता था अब वीरांगनाओं के ऊपर भी अत्याचार हो रहा है।

 

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