जेल में बंद अशरफ को सब्जी वाला पहुंचाता था रुपये, 11 फरवरी को मिले थे शूटर; बिना पर्ची

प्रयागराज | प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड में नया खुलासा हुआ है। प्रयागराज पुलिस सूत्रों के मुताबिक एनकाउंटर में मारे गए शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान ने 11 फरवरी को बरेली जिला कर अशरफ से मुलाकात की थी उस्मान के साथ गुलाम और गुड्डू मुस्लिम भी आए थे।

प्रयागराज में हुई उमेश पाल की हत्या की साजिश साबरमती जेल के साथ बरेली जेल में भी रची गई थी। इस मामले में एसटीएफ के इनपुट पर बरेली पुलिस ने अवैध तरीके से माफिया अतीक अहमद की भाई अशरफ से शूटरों की मुलाकात कराने वाले जेल के सिपाही शिवहरि अवस्थी और जेल में सब्जी मुहैया कराने वाले दयाराम उर्फ नन्हे को जेल भेजा है।

पुलिस के मुताबिक सिपाही शिवहरि ने पिछले दिनों शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान और उसके साथियों की बरेली जेल में बंद अशरफ से मुलाकात कराई थी। गिरफ्तार सिपाही शिवहरि और अशरफ के साले सद्दाम से बातचीत का रिकॉर्ड भी मिला है। अशरफ से जेल में मुलाकात करने वाले गुर्गों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। इनमें अशरफ का साला सद्दाम और उसका साथी लल्ला गद्दी भी शामिल है।

पुलिस के मुताबिक जेल में अशरफ के करीबियों और रिश्तेदारों को बिना पर्ची के मिलाया जा रहा था। मुलाकात भी सामान्य बंदियों के नियत स्थान पर ना होकर अशरफ की बैरक या अन्य स्थान पर होती थी।

प्रयागराज पुलिस सूत्रों के मुताबिक एनकाउंटर में मारे गए शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान ने 11 फरवरी को बरेली जिला कर अशरफ से मुलाकात की थी उस्मान के साथ गुलाम और गुड्डू मुस्लिम भी आए थे।
सैदपुर कुर्मियां गांव का रहने वाला टेंपो चालक नन्हे जेल कैंटीन का सामान रोज सुबह शहर से ले जाता था । नन्हे सद्दाम और उसके साथी लल्ला गद्दी से खाने पीने का सामान और पैसे लेकर अशरफ तक पहुंचाता था।
इससे पहले खुलासा हुआ था कि माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ का साला सद्दाम उसके पीछे ही बरेली आ गया था। यहां खुशबू एनक्लेव में वह ब्रोकर के जरिए मकान लेकर रह रहा था। अकसर अपनी पत्नी और परिवार को भी यहां रखता था।

पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ को 11जुलाई 2020 को नैनी जेल से बरेली जेल में शिफ्ट किया गया था। चूंकि अतीक अहमद को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गुजरात की साबरमती जेल में भेज दिया गया था तो प्रयागराज से जुड़े काले धंधे अशरफ ही देख रहा था।

अशरफ का नेटवर्क बदस्तूर चलाने के लिए उसका साला सद्दाम करीब ढाई साल पहले बरेली आ गया था। शुरू में कुछ दिन होटल में गुजारने के बाद वह ब्रोकर के जरिए खुशबू एनक्लेव में मकान लेने में सफल हो गया। यहां अक्सर उसके गुर्गे रहते थे।

कभी कभार वह अपनी पत्नी और परिवार को भी ले आता था। यहां उसने कभी आसपास के लोगों से झगड़ा नहीं किया। वह लोगों से सीमित और मधुर संबंध रखता था। अब लोग इन बातों की चर्चा कर रहे हैं।

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