अस्पतालों के बीच रेफरल व्यवस्था लागू न हुई तो बढ़ेंगी मौतें: AIIMS निदेशक

AIIMS | AIIMS के निदेशक ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर अस्पतालों के बीच रेफरल व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव भेजा है। उन्होंने अपने लेटर में आगाह करते हुए कहा कि रेफरल व्यवस्था लागू न होने से मौतों का आंकड़ा बढ़ सकता है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एम्स और दिल्ली सरकार के अस्पतालों के बीच गंभीर मरीजों के बेहतर इलाज के लिए क्रास रेफरल व्यवस्था लागू करने पर काफी हद तक सहमति बन चुकी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डा. एम. श्रीनिवास ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर अस्पतालों के बीच यह रेफरल व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव भेजा है। पत्र में आगाह किया है कि रेफरल व्यवस्था लागू न होने से मौतों का आंकड़ा बढ़ सकता है।

पत्र में कहा गया है कि दूसरे अस्पतालों के गंभीर मरीजों को एम्स में स्थानांतरित करने और जिन मरीजों की हालत ज्यादा गंभीर नहीं होगी उन्हें एम्स व तृतीय स्तर के अन्य अस्पतालों से द्वितीय स्तर के मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों में स्थानांतरित करने की व्यवस्था होगी। इससे आपात स्थिति में गंभीर मरीजों को बेड मिलने में दिक्कत नहीं होगी। एम्स के इस प्रस्ताव को यदि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने लागू किया तो राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों की इमरजेंसी में इलाज की व्यवस्था बदल जाएगी।

इमरजेंसी में है गंभीर मरीजों का दबाव

समस्या यह है कि एम्स के इमरजेंसी में गंभीर मरीजों का बहुत दबाव है। बेड की कमी के कारण मरीज घंटों इमरजेंसी के बाहर स्ट्रेचर पर पड़े रहते हैं और उन्हें जल्दी इलाज नहीं मिल पाता। एम्स निदेशक द्वारा लिखे गए पत्र में भी इस बात का जिक्र करते हुए कहा है कि इस हालत से मौतें बढ़ सकती हैं। इसलिए अस्पतालों के बीच बेहतर तालमेल व रेफरल व्यवस्था होना जरूरी है।

इसके तहत एम्स इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में ट्राइएज एरिया निर्धारित करेगा, जहां रेड, यलो व ग्रीन एरिया निर्धारित रहेगा। इसके तहत एम्स के डाक्टर इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की स्क्रीनिंग कर गंभीरता के आधार पर यह तय करेंगे किन मरीजों को रेड, यलो और ग्रीन एरिया में रखने की जरूरत है। रेड एरिया वाले गंभीर मरीजों को एम्स भर्ती करेगा। यलो एरिया वाले कम गंभीर और ग्रीन एरिया वाले मरीज दूसरे या उसी अस्पताल में भेज दिए जाएंगे जहां से उन्हें स्थानांतरित किया गया है।

व्यवस्था को लागू करने में आएंगी चुनौतियां

रेफरल व्यवस्था लागू करने में कुछ चुनौतियां आएंगी, पर आपसी तालमेल से उन्हें कम किया जा सकता है। एम्स के डाक्टर चिह्नित अस्पतालों की इमरजेंसी का निरीक्षण कर कमियों के विश्लेषण के साथ ही डाक्टरों व कर्मियों को प्रशिक्षित भी कर सकते हैं। 29 अक्टूबर, 2022 को एम्स के निदेशक ने केंद्र और दिल्ली सरकार के प्रमुख 15 अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों के साथ बैठक कर इस मामले पर चर्चा की थी। हाल ही में एलजी के साथ हुई बैठक में दिल्ली के दो अस्पतालों को एम्स के साथ जोड़ने का फैसला हुआ है।

इस वजह से क्रास रेफरल व्यवस्था की जरूरत

एम्स प्रशासन से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि यह देखा गया है कि एम्स और केंद्र के बड़े अस्पतालों के अलावा दिल्ली सरकार के जीबी पंत और जीटीबी अस्पताल की इमरजेंसी में भी दबाव अधिक है। अन्य ज्यादातर अस्पतालों की इमरजेंसी की मौजूदा क्षमता का 20 प्रतिशत ही इस्तेमाल हो पाता है। इसलिए जीबी पंत, लोकनायक, जीटीबी, एलबीएस, संजय गांधी स्मारक अस्पताल, नेहरू बाल चिकित्सालय सहित दिल्ली सरकार के करीब 25 अस्पतालों के साथ क्रास रेफरल व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव भेजा गया है।

 

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