देश की आर्थिक वृद्धि दर काफी कमजोर, RBI ने जाहिर की चिंता

देश की आर्थिक वृद्धि दर काफी कमजोर दिखाई दे रही है। यह बढ़ते श्रमबल की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिहाज से पर्याप्त नहीं रहेगी। इसके अलावा, मौद्रिक सख्ती यानी ऊंची ब्याज दरों की वजह से कर्ज की मासिक किस्त बढ़ी है। इससे परिवारों के खर्च में कमी आ रही है, जिससे मांग प्रभावित हो रही है।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने रविवार को कहा, ऊंची ब्याज दरें निजी निवेश को और मुश्किल बना रही हैं। वहीं, सरकार राजकोषीय मजबूती पर जोर दे रही है। ऐसे में इस स्रोत से अर्थव्यवस्था को समर्थन में गिरावट आई है। इन सभी वजहों से मुझे आशंका है कि हमारे जनसांख्यिकीय संदर्भ और आय के स्तर को देखते हुए बढ़ते श्रमबल की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आर्थिक वृद्धि दर कम रहेगी। केंद्रीय बैंक ने 2023-24 के लिए वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान जताया है।

2023-24 में घटेगी महंगाई
एमपीसी सदस्य ने कहा, मौद्रिक सख्ती दुनियाभर में वृद्धि के लिए जोखिम है। उच्च महंगाई पर कहा, 2022-23 में विभिन्न आपूर्ति झटकों के साथ दूसरी छमाही के दौरान मौद्रिक सख्ती में देरी से यह उच्च महंगाई का साल रहा है। हालांकि, 2023-24 में इसमें काफी कमी आएगी।

रेपो दर में वृद्धि के सवाल पर वर्मा ने कहा, जोखिमों का संतुलन महंगाई के बजाय आर्थिक वृद्धि की ओर स्थानांतरित हो गया है। ऐसे में ब्याज दरों में ‘ठहराव’ अधिक उपयुक्त होगा।

 

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.