सबसे पहले किसने रचाया विवाह और कैसे शुरू हुई ये परंपरा

हर धर्म में विवाह को महत्वपूर्ण बताया गया है और इसे त्योहार की तरह मनाया जाता है। लेकिन हिंदू धर्म में विवाह के दौरान बनने वाले पति पत्नी के रिश्ते को पवित्र बताया गया है।

मान्यता है कि विवाह होने से केवल दो लोग ही नहीं बल्कि दो परिवार मिलते है और एक दूसरे के सुख दुख के साथ हो जाते है।

अभी शादियों का सीजन चल रहा है और अधिकतर लोग शादी समारोह में आ जा रहे होंगे। लेकिन विवाह का नियम किसने बनाया और इस धरती पर सबसे पहले किसी शादी हुई अगर आपके भी मन में ये प्रश्न उछल कूद कर रहा है तो इसका उत्तर आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा दे रहे है तो आइए जानते है।

सनातन धर्म में कई ऐसी पौराणिक कथाएं है जो विवाह से जुड़ी मानी जाती है लेकिन एक कथा के अनुसार जब इस सृष्टि का निर्माण हुआ उस वक्त जगत का निर्माण करने वाले भगवान ब्रह्मा ने अपने शरीर के दो भाग कर दिए थे और ये दो टुकड़े में से एक को का नाम दिया गया और दूसरे को या नाम दिया गया। इसी प्रकार इन टुकड़े के मिलने पर काया का निर्माण हुआ। और इसी काया से पुरुष और स्त्री का जनम माना जाता है। फिर इसी काया से दो तत्व बने। जिसमें पुरुष तत्व को स्वयंभू मनु नाम दिया और स्त्री को शतरूपा के नाम से जाना गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मनु और शतरूपा को ही इस धरती का सबसे पहला मानव माना गया है।

कहा जाता है कि जब ये दोनों धरती पर एक दूसरे से मिले तो भगवान ब्रह्मा से इन्हें पारिवारिक ज्ञान और संस्कार की प्राप्ति हुई और इसी तरह से इन्हें वैवाहिक जीवन में आन का ज्ञान प्राप्त हुआ। अगर हम पुराणों को देखे तो उसमें वर्णित है कि विवाह की परंपरा का आरंभ श्वेत ऋषि के द्वारा हुई। इन्हीं के द्वारा विवाह पंरपरा में सिंदूर, मर्यादा, महत्व, मंगलसूत्र, सात ​फेरो और विवाह के दौरान किए जाने वाले रीति रिवाज़ बने। श्वेत ऋषि ने ही विवाह के बाद पति पत्नी को एक बराबर का दर्जा और सम्मान प्रदान किया है माना जाता है इन्हीं से विवाह की प्रथा का आरंभ हुआ जो कि अब तक चला आ रहा है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.