मुंबई । चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गया है। उद्धव गुट ने चुनाव आयोग पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। इसके बाद महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाजी का दौर जारी है। चुनाव चिन्ह और पार्टी के नाम को लेकर शिंदे और उद्धव गुट आमने-सामने है। इसी कड़ी में शिवसेना सांसद और पार्टी के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने एक इंटरव्यू दिया हैं। इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले पर भी जवाब दिया। साथ ही स्पष्ट रूप से कहा कि महाराष्ट्र के लोगों के लिए शिवसेना ही ठाकरे है और ठाकरे ही शिवसेना है।
राउत ने मौजूदा वक्त में पार्टी और चुनाव आयोग के बीच चल रही तकरार को मसाला फिल्म कह दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि यह फिल्म दिल्ली से निर्देशित की जा रही है। इस फिल्म की स्क्रिप्ट 2019 के बाद लिखी गई है, इस दिल्ली से निर्देशित किया जा रहा है। राउत को लगता है कि महाराष्ट्र में सामने आ रही राजनीतिक स्थिति एक बड़ी साजिश का हिस्सा है, जो 2019 के चुनावों के बाद शुरू हुई थी। राउत ने कहा, महाराष्ट्र में जो कुछ भी हो रहा है वह एक मसाला फिल्म के अलावा और कुछ नहीं है। जिसकी पटकथा 2019 के चुनावों के बाद लिखी गई थी। उन्हें अब दिल्ली से दिशा मिल रही है। राउत ने चुनाव आयोग के कदम पर सवाल उठाकर कहा, भारतीय राजनीति के इतिहास में चुनाव आयोग ने किसी भी पार्टी के लिए ऐसा फैसला नहीं दिया है।
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषण की याचिका का हवाला देकर राउत ने कहा, क्या चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था या शिवसेना के खिलाफ इस तरह का आदेश देने के लिए जल्दबाजी में लाया गया था? … चुनाव आयोग पार्टी के भाग्य का फैसला नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘विधायकों और सांसदों की संख्या पर पार्टी की एक बड़ी परिभाषा है और चुनाव आयोग को इस पर गहराई से विचार करना चाहिए था। क्या होगा अगर हमारे साथ विश्वासघात करने वाले सभी विधायक और सांसद अगले चुनाव में हार गए? क्या चुनाव आयोग हमारी पार्टी का नाम और धनुष-बाण का चुनाव चिह्न हमें वापस देगा?
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