नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि पोशाक या शरीर के किसी विशेष संदर्भ के बिना किसी व्यक्ति की शक्ल और चाल-चलन के उल्लेख को यौन संबंधी टिप्पणी के रूप में नहीं गिना जाएगा। पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजिंदर सिंह ने भारतीय दंड संहिता की धारा-509 (शब्द, हावभाव या किसी महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से किया गया कार्य) के तहत आरोपी एक पुरुष को रिहा किए जाने के खिलाफ एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
उल्लेखनीय है कि दो अन्य पुरुषों के खिलाफ एक ही धारा के तहत आरोप तय किए गए थे, लेकिन उन्हें धारा 354ए (यौन उत्पीड़न) के तहत आरोपमुक्त कर दिया गया था। महिला ने आरोप लगाया था कि तीनों लोगों ने आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और उसके बारे में कुछ खास बातें कीं और उसे बुरी नजर से भी देखा करते थे। अदालत ने कहा कि दस्तावेजों के अवलोकन के दौरान आरोपी व्यक्तियों के कथित कृत्य आईपीसी की धारा 354ए (1)(ए) के तहत नहीं आएंगे। आईपीसी की धारा 509 के तहत आरोपी को आरोपमुक्त करते हुए अदालत ने कहा कि महिला ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि वह कुछ बुदबुदा रहा था, लेकिन वह सुनने के लिए वहां नहीं रुकी। अदालत ने यह भी नोट किया कि पुरुष के कहे किसी भी शब्द का कोई विशेष उल्लेख नहीं था या कोई विशिष्ट आरोप नहीं था कि उसने कोई आवाज निकली या इशारा किया या कोई चीज दिखाई, जिससे महिला का अपमान हुआ हो या उसकी निजता पर आक्षेप हुआ हो।
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