मुंबई । वंदे भारत ट्रेन का परिचालन भारतीय रेलवे की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक था। इसकी शुरुआत से पहले कई लोगों द्वारा संदेह जाहिर किया गया था कि भारत के आर्थिक ताने-बाने को देखकर ये ट्रेन उतनी लोकप्रिय नहीं होगी। हालांकि, मोदी सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में ये बात एकदम विपरीत है। वंदे भारत ट्रेन की पहली 8 जोड़ियों का औसत ऑक्यूपेंसी रेट 99.97 फीसदी है। इसका मतलब है कि ये ट्रेनें औसतन 100 फीसदी भरकर चल रही हैं। कई जोड़ियों की ऑक्यूपेंसी रेट 100 फीसदी से भी अधिक है। मसलन गांधीनगर-मुबंई वंदे भारत का ऑक्यूपेंसी रेट 127.67 फीसदी है। जबकि मुंबई से गांधीनगर जाने वाली ट्रेन का ऑक्यूपेंसी रेट 126.43 फीसदी है। ऑक्यूपेंसी रेट 100 फीसदी से ज्यादा होने का मतलब है कि लोगों को वेटिंग लिस्ट में भी रखा गया है।
गांधीनगर-मुंबई और मुबंई गांधीनगर के अलावा और भी जोड़ियों का ऑक्यूपेंसी रेट 100 फीसदी से अधिक है। वाराणसी-दिल्ली वंदे भारत में यह 125.89 फीसदी और दिल्ली-वाराणसी में 121.51 फीसदी है। गौरतलब है कि सबसे पहली वंदे भारत दिल्ली से वाराणसी से बीच ही चली थी। इस 15 फरवरी 2019 को हरी झंडी दिखाई गई थी। 100 फीसदी से अधिक ऑक्यूपेंसी रेट के मामले में अगला नंबर है, दिल्ली से कटरा के बीच चल रही वंदे भारत का जिसका ऑक्यूपेंसी रेट 106.35 फीसदी है। वहां, से वापसी वाली वंदे भारत की ऑक्यूपेंसी 104.89 फीसदी है।
हावड़ा-जलपाईगुड़ी (103.67 प्रतिशत) और जलपाईगुड़ी-हावड़ा (102.01 प्रतिशत) वंदे भारत में भी सीट की मांग 100 फीसदी से अधिक है। हाल ही में वंदे भारत के काफिले से जुड़ी सिकंदरबाद-विशाखापट्टनम 124.5 फीसदी और विशाखापट्टनम-सिकंदराबाद 106.18 फीसदी के ऑक्यूपेंसी रेट के साथ चल रही हैं। इन्हें जनवरी 2023 में ही शुरू किया गया था। इन दो के अलावा बाकी आंकड़े पिछले साल अप्रैल 1 से इस साल फरवरी 8 तक के हैं।
हालांकि, कुछ वंदे भारत ट्रेनों में लोग अभी कम सफर कर रहे हैं. अंब-अंदौरा से नई दिल्ली तक चलने वाली वंदे भारत में यह 57.18 फीसदी है। वहीं, वापसी वाली ट्रेन का ऑक्यूपेंसी रेट 77.92 फीसदी है। इस तरह चेन्नई मैसूर 78.12 फीसदी, मैसूर-चेन्नई 68.61 फीसदी, बिलासपुर नागपुर 55.25 फीसदी और नागपुर बिलासपुर 52.86 फीसदी की ऑक्यूपेंसी रेट के साथ चल रही हैं! अभी देश में वंदे भारत की कुल 10 जोड़ियां चल रही हैं। जिनमें से 2 जोड़ियों, मुंबई-साईंनगर शिरडी और मुंबई-सोलापुर, की शुरुआत 10 फरवरी को ही हुई थी। महाराष्ट्र इकलौता ऐसा राज्य है, जहां प्रदेश के अंदर ही वंदेभारत का सफर शुरू और खत्म हो रहा है।
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