चुनाव आयोग ने उद्धव गुट की पार्टी का संविधान अलोकतांत्रिक निरूपित किया है। इसमें पदाधिकारियों को बिना किसी के चुनाव के नियुक्त करने  शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाने से पार्टी को निजी जागीर बताया है।इसी के साथ महाराष्ट्र में शिवसेना से अब उद्धव गुट की दावेदारी चुनाव आयोग के निर्णय से खत्म मानी जा रही है।
निर्वाचन आयोग ने दोनों धड़ों को अंधेरी ईस्ट उपचुनाव के मद्देनजर अलग-अलग चुनाव चिह्न दिया था। उद्धव गुट को मशाल चुनाव चिह्न के लिए मंजूरी मिली। इस गुट का नाम अब शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में शिवसेना बनाम शिंदे गुट विवाद पर फैसला 21 फरवरी तक टाल दिया है। इस फैसले के बाद चुनाव आयोग ने ताबड़तोड़ तरीके से शिंदे गुट के पक्ष में फैसला सुना दिया है।
डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने अभी इस संबंध में अपने फैसले को सुरक्षित रखा है। चुनाव आयोग के इस फैसले का सुप्रीम कोर्ट में क्या असर पड़ेगा इसके लिए 21 फरवरी तक इंतजार करना पड़ेगा। अभी तो चुनाव आयोग के फैसले से शिंदे गुट ही असली शिवसेना बन गई है।