सोने का आयात 76% घटकर 32 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा

घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ने और मांग में कमी से सोने का आयात जनवरी, 2023 में 76 फीसदी गिरकर 32 महीने के निचले स्तर पर आ गया। आंकड़ों के मुताबिक, आयात में गिरावट से देश के व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी। सरकारी सूत्र से गुरुवार को मिली जानकारी के अनुसार, जनवरी में कुल 11 टन सोने का आयात किया गया। एक साल पहले की समान अवधि में 45 टन सोना खरीदा गया था। मूल्य के लिहाज से जनवरी में 69.7 करोड़ डॉलर का सोना आयात किया गया, जबकि एक साल पहले 2.38 अरब डॉलर का आयात हुआ था।

घरेलू बाजारों में इस साल सोने की प्रति 10 ग्राम कीमतें 58 हजार को पार कर गई थीं, जो इसका अब तक का उच्च स्तर है। हालांकि, इस समय इसकी कीमतें जरूर कम हुई हैं। लेकिन, कारोबारियों का मानना है कि शादियों के मौसम के कारण आगे सोने की मांग बढ़ सकती है।

शादियों के मौसम में बढ़ सकती है मांग

कारोबारियों का कहना है कि देश में शादियों का मौसम सोने की खरीदारी के लिए महत्वपूर्ण अवसर होता है। उपहार देने में इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में शादियों की वजह से आने वाले महीनों में सोने की मांग बढ़ सकती है। जनवरी में जूलर्स ने सोने की कम खरीदी की क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि बजट में आयात शुल्क घट सकता है। हालांकि, इस पर कोई फैसला नहीं हुआ और उल्टे चांदी पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी गई।

फरवरी में बढ़ सकता है आयात

सराफा विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की कीमतों में हाल-फिलहाल गिरावट आई है। ऐसे में सोने की मांग बढ़ सकती है। आयात शुल्क में कटौती नहीं होने के बावजूद बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए सराफा कारोबारी खरीदारी बढ़ा सकते हैं। इससे फरवरी में सोने का आयात बढ़ सकता है।

व्यापार घाटा कम होने से चालू खाता घाटे में आएगी नरमी

देश के व्यापार घाटे में कमी और बढ़ते सेवा व्यापार अधिशेष (सरप्लस) की वजह से चालू खाता घाटे (कैड) में नरमी आ सकती है। इन आंकड़ों ने कुछ अर्थशास्त्रियों को 2022-23 और अगले वित्त वर्षों के लिए देश के चालू खाता घाटे के अंतर के अपने अनुमानों को कम करने के लिए प्रेरित किया है। जनवरी में देश का व्यापार घाटा कम होकर एक साल के निचले स्तर 17.7 अरब डॉलर पर आ गया। सेवा व्यापार अधिशेष पिछले महीने बढ़कर 16.5 अरब डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया।

भारत में बार्कलेज के प्रमुख अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, 2022-23 के लिए कैड का अनुमान घटाकर 95 अरब डॉलर या जीडीपी का 2.8% कर दिया है। यह पहले 105 अरब डॉलर या 3.1 फीसदी था। अगले वित्त वर्ष में यह 85 अरब डॉलर या 2.3% रह सकता है। वहीं, एमके ग्लोबल में मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोरा ने कहा, जनवरी का व्यापार घाटा 2022 की दूसरी छमाही के 25.5 अरब डॉलर की तुलना में काफी कम है। इसलिए चालू वर्ष में कैड जीडीपी का 2.6 फीसदी रह सकता है, जो पहले 3.1% था।

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