अब राख के भी दिन फिरने लगे, बर्तन मांजने के लिए खरीद रहे लोग 

मुंबई। हम सभी ने अपने घरों में अपने बड़े-बूढ़ों को गाय के गोबर और लकड़ी को चूल्हे में जलाने के बाद बनी राख से बर्तन मांजते हुए देखा है। आज भी किसी शुद्ध काम के लिए कई घरों में बर्तनों को सर्फ या बार की बजाय राख से ही धोया जाता है।  हालांकि, समय के साथ-साथ ये बहुत कम हो गया और मॉर्डनाइजेशन के नाम पर इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया है। लेकिन अब फिर से लोग राख को खरीदकर कर उसका इस्तेमाल करने लगे हैं।
अमेजन पर राख 1800 रुपये प्रति किलो मिल रही है। पहले जो राख घरों में आमतौर पर मिल जाती थी अब उसे शहरों में हजारों रुपये में बेचा जा रहा है। जाहिर है कि मांग होने के कारण इन्हें महंगे दामों पर बेचा जा रहा है। अमेजन पर एक कंपनी द्वारा बेचे जा रही राख के बारे में लिखा है कि यह बर्तन मांजने के लिए एकदम सही प्रोडक्ट है। बता दें कि राख को खुले में नहीं बल्कि एक बेहतरीन पैकेजिंग के साथ बेचा जा रहा है।
ये कोई पहला उत्पाद जो हमारे पूर्वज इस्तेमाल करते और फिर अब उस ऑनलाइन बेचा जाने लगा। इससे पहले दातून, पत्तों से बने बर्तन, पूजा के लिए लकड़ी और यहां तक की गाय के गोबर से बने उपले भी कई सौ रुपये में बिकते हुए दिखे।  जो सामान हमें आमतौर पर घरों में फ्री में मिलता था उसके लिए अब पैसे चुकाने पड़ रहे हैं।
राख घरों में इसलिए खत्म होना शुरू हो गई क्योंकि चूल्हे पर खाना पकाना बंद कर दिया गया। दरअसल, लकड़ी या उपले के जलने से जो धुंआ होता था उसे पर्यावरण के लिए हानिकारक बताया गया।

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