सोशल मीडिया पर बुलाने पर दौड़ पड़ते पत्रकार
अखिलेश दुबे
राष्ट्र चंडिका,सिवनी। सिवनी जिले में लगातार गाजरघास की तरह ऊग आने वाले पत्रकारों की संख्या बढ़ रही इन पत्रकारों का समूल नष्ट करने के लिए सपाचट जैसी दवा की आवश्यकता है चार लाईन लिखना नही आता प्रेस कार्र्ड का रौब दिखाकर चमकाना तथा किसी कार्यक्रम की सूचना मिली नही कि बिना बुलाए मेहमान की तरह पहुंच जाना और रौब झाडऩा इनकी फितरत में शामिल है।
मोबाइल में फोटो खींचना वीडियों बनाना और इनका उपयोग कहां करते है समझ से परे है ऐसे पत्रकारों को वरिष्ठ भस्मासुर पत्रकारों का संरक्षण भी प्राप्त होता है अधिकारियों के कार्यालय में इस तरह जाकर बैठते है जैसे मुंबई दिल्ली में बैठकर पत्रकारिता कर रहे है पत्रकारिता को राष्ट्र की चौथी आंख माना गया है वह घटना का विशलेषण करती है और समाज के सामने रखती है लेकिन सिवनी में तथा कथित पत्रकार अधिकारी के घर में चाटुकारिता करते भी देखे जा सकते है और इनके कुछ कहने पर ये यह जवाब देते है कि पत्रकारिता के मायने ही बदल गये है व्हाटसअप यूटूब तथा प्रिंट मीडिया में तो हालात यह है कि नांच न जाने आंगन टेढ़ा जिन्हें दो शब्द पत्रकारिता नही आता वह अधिकारियों के सामने रौब झाड़ते है।
इनकी कार्यप्रणाली से ऐसा लगता है मानों यह देश की सारी समस्याओं का समाधान अपनी लेखनीय से कर डालेंगे या अपने चैनल में दिखाकर केन्द्र सरकार को विवश कर देंगे। लेकिन वास्तविकता यह है कि कॉपी पेस्ट का अखबार निकालने और अपने मुंह से अपनी बढ़ाई करना तथा ऐसी धौंस जमाते है ये सब तथाकथित पत्रकारों की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल है।
पत्रकारिता के लिए धैर्य और साहस की जरूरत होती है जो व्यक्ति धैर्य के साथ कार्य करते है उसे सफलता अवश्य मिलती है इतना ही नही पत्रकारिता के लिए अध्ययन की भी जरूरत होती है चंद लाईन लिखने मात्र से आपका भविष्य उज्जवल नही हो सकता। इसके लिए आपको अध्ययन से ही सफलता मिलेगी पत्रकारिता के क्षेत्र में जो सफल हुए इतिहास बताता है उन्होने धैर्य रखा और अपने मुकाम तक पहुंच गये।