प्रदेश के सीएम शिवराज नागपुर आए, मोहन भागवत से मिले, वजह क्या

राष्ट्र चंडिका, नागपुर: एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार (15 फरवरी) को नागपुर पहुंचे. पौने ग्यारह बजे वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय गए. आरएसएस मुख्यालय में उनकी सरसंघचालक मोहन भागवत से पैंतालीस मिनट तक बंद दरवाजे के भीतर चर्चा हुई. इस मुलाकात के बाद जब शिवराज बाहर आए तो उन्होंने मीडिया से बात नहीं की. दोनों की बीच क्या बात हुई, इसको लेकर चर्चाएं गर्म हो गईं. आखिर क्या बात है कि बिना किसी शोर-शराबे के चुपचाप वे मोहन भागवत से मिले. पौने घंटे तक अकेले में बातचीत की और जिस तरह से चुपचाप आए, उसी तरह चुपचाप गए?
इस एक घंटे के नागपुर दौरे के बाद शिवराज सिंह चौहान दौड़ते भागते हुए जबलपुर चले गए. उनका मीडिया से बात नहीं करना और चेहरे पर गंभीरता यह साफ दर्शा रहा था कि वे किसी ना किसी बात से परेशान हैं, जिसका हल संघ मुख्यालय से ही निकल सकता है.
उमा भारती को समझाएं… क्या यही शिवराज ने मोहन भागवत से कहा?
मध्य प्रदेश सरकार का शराब को लेकर जो स्टैंड है, उसे लेकर बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती नाराज हैं. वे इस मामले पर आंदोलन करने का मन बना चुकी हैं. एक बार उमा भारती का सक्रिय होना शिवराज सिंह चौहान को असहज कर रहा है. अपनी ही पार्टी में विरोध उन्हें टेंशन दे रहा है. शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती के बीच पुराने टशन को नरम करने में संघ अहम भूमिका निभा सकता है.ऐसे में हो सकता है शिवराज सिंह चौहान ने सरसंघचालक से यही आग्रह किया हो.
चुनाव आ रहा, उमा भारती का तेवर शिवराज को बैकफुट पर ला रहा
मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव आ रहा है. ऐन वक्त पर उमा भारती का आक्रामक होना शिवराज सरकार को बैकफुट पर ला सकता है. राज्य सरकार नहीं चाहती कि जनता के बीच शिवराज अपने ऊपर सवाल लेकर जनता के बीच जाएं. अभी-अभी शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एमपी में इन्वेस्टर्स समिट हुआ है. शिवराज सवाल की बजाए समाधान लेकर जनता के पास जाना चाह रहे हैं. वे जनता के सामने डेवलपमेंट के एजेंडे को लेकर जाना चाह रहे हैं.

किसान पहले ही नाराज, उमा भारती बढ़ा रही विवाद

दूसरी तरफ कपास, सोयाबीन, गेहूं उत्पादक किसान उचित मूल्य नहीं दिए जाने से पहले ही नाराज बैठे हैं. ऐसे में पहले से ही खड़ी मुश्किलों के बीच उमा भारती का आक्रामक रुख शिवराज की मुश्किलें बढ़ा देगा. इसलिए उन्होंने मोहन भागवत से यह आग्रह किया होगा कि उमा भारती को समझा कर वे उनकी मुश्किलें आसान करें.

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