येलाहांका । बेंगलुरु में चल रहे 5 दिवसीय एयरो इंडिया शो में तीनों सेनाओं के लिए नई तकनीक पर ख़ास ज़ोर दिया गया है। शो में जेटपैक सूट आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस सूट की खासियत यह है कि यह एक ऐसा सूट है जिसे पहनकर इंसान जेट बन जाता है। गैस टर्बाइन इंजन से चलने वाले इस सूट को पहनकर सैनिक 10 से 15 मीटर हवा में उड़ सकेंगे। इसके साथ ही किसी भी मौसम में यह सूट काम करेगा। जेटपैक सूट के माध्यम से फौरन भारतीय जवान उड़कर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दे सकेंगे।
इस सूट का वजन लगभग 40 किलोग्राम तक होगा। इसमें सिस्टम कुछ इस तरह से होता है कि जवान जब चाहे उड़ सकते हैं और लैंड कर सकते हैं। जेटपैक सूट पहनकर 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से जवान आठ मिनट तक हवा में उड़ सकते हैं। किसी भी मौसम में यह सूट काम करता रहेगा। भारतीय सेना जेटपैक सूट खरीदने जा रही है। सिस्टम खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बेंगलुरु के राघव रेड्डी इस पर काम कर रहे हैं।
यह सूट गैस या तरल ईंधन से चलता है। इसमें बेसिकली टरबाइन इंजन लगा होता है और हाथों में ही इसका कंट्रोल होता है। इसे पहनकर जवान 10 से 15 मीटर की ऊंचाई तक हवा में आठ मिनट तक उड़ान भर सकते हैं। जेटपैक सूट के जरिए सीमाओं की निगरानी, पहाड़ों और जंगलों में सर्विलांस आसान हो जाएगा। इसे पहनकर जवान सिर्फ उड़ सकते हैं। क्योंकि इसे दोनों हाथों से कंट्रोल करना होता है। उड़ते समय जवान हमला नहीं कर सकते। हालांकि भविष्य में इसमें बदलाव करके इन्हें हमला करने के लिहाज से भी उपयोगी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
एयरो शो में कर्नल कुमार धर्मवीर ने कहा युद्ध के हालात में जब सेना की ज़मीनी और हवाई एलिमेंट एक साथ काम करती हैं, तो ऐसे में उनके बीच तालमेल बेहद जरूरी होता है। इसके लिए सेना की मिलिट्री इंजीनियरिंग यूनिट ने ख़ास त्रिशूल लिंक सिस्टम तैयार किया है। जिसके ज़रिए ज़मीन पर मौजूद सैनिकों और आसमान में हेलीकॉप्टर और ड्रोन के साथ तालमेल क़ायम किया जा सकता है।
कैप्टन विकास त्रिपाठी ने कहा कि सरहद पर निगरानी और घुसपैठ को रोकने के लिए सेना ने सर्विलांस सॉफ़्टवेयर अग्नि-डी तैयार किया है। यह सिस्टम सरहद पर लगे कैमरे और ड्रोन के साथ काम करता है। इसे आने वाले दिनों में लद्दाख सरहद पर तैनात किया जा सकता है। वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने बताया कि एयरो इंडिया 2023 में तीनों सेनाओं के लिए नई स्वदेशी तकनीक के लिए एक ख़ास सेंटर भी बनाया गया है। नौसेना भी ड्रोन, पानी के अंदर सर्विलांस और सॉफ़्टवेयर के क्षेत्र में नई तकनीक पर काफ़ी ज़ोर दे रही है।
एयरो इंडिया में पहली बार तपस-बीएच उड़ान भरेगा। डीआरडीओ के मुताबिक, तीनों सेनाएं इसका इस्तेमाल कर सकेंगी। यह ड्रोन 28 हजार फीट की ऊंचाई तक 18 घंटे से ज्यादा समय तक उड़ान भरने में सक्षम है। इतना ही नहीं, तपस-बीएच से एक बार में 350 किलोग्राम के पेलोड भी भेजा जा सकता है। इसके अलावा डीआरडीओ के पवेलियन में लड़ाकू विमान और यूएवी, मिसाइल सिस्टम, इंजन एंड प्रपल्शन सिस्टम, एयरबोर्न सर्विलांस सिस्टम, सेंसर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर एंड कम्युनिकेशन सिस्टम जैसे 330 से ज्यादा प्रोडक्ट्स को शोकेस किया गया है।
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