तरक्की और धन के सारे रास्ते खोल देंगे मां कलिका से जुड़े ये उपाय

काली माता को बुराई का विनाश करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। मां काली की पूजा करने वाले भक्तों को जीवन में कभी भी भय का सामना नहीं करना पड़ता और उनके आशीर्वाद से व्यक्ति हमेशा दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की करता है।

काली माता को प्रसन्न कर के तमाम तरह की परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। माता का स्वरूप चाहे गुस्से वाला हो लेकिन मां काली की अपने भक्तों के प्रति बहुत ही दयालुता और कर्तव्यनिष्ठा की भावना होती है। मां काली को बहुत ही आसान तरीके से खुश किया जा सकता है। तो आइए जानते हैं कि कौन से उपाय करने से मां को प्रसन्न कर तरक्की और धन के रास्ते खोले जा सकते हैं।

मां काली को खुश करने के उपाय:

नौकरी में तरक्की पाने के लिए : करियर में अगर रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है तो मां काली को गुड़ का भोग लगाएं क्योंकि उन्हें गुड़ बहुत प्रिय है। आर्थिक स्थिति को सही करने के लिए गरीबों को गुड़ का दान करना चाहिए। ऐसा करने से मां सारी रुकावटों को दूर करती हैं।

बीमारियों को दूर भगाने के लिए: अगर बीमारियां आपका दामन पकड़ कर बैठ गई हैं तो शनिवार को मां काली के मंदिर जाकर उनके बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।

Maa kali Mantra मंत्र: ।। ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हलीं ह्रीं खं स्फोटय क्रीं क्रीं क्रीं फट ।।

परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र का कम से कम 21 बार जाप करना चाहिए।

शत्रु से पीछा छुड़ाने के लिए: मां काली मुश्किल समय में अपने भक्तों का साथ नही छोड़ती। अगर किसी का शत्रुओं से पाला पड़ गया है तो मां के मंदिर में सुबह और शाम आटे का दो मुंह वाला घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से शत्रु भी मित्र बनने के लिए मजबूर हो जाएगा।

पूजा घर में न रखें ये तस्वीर: वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के उत्तर-पूर्व कोने में भगवान का मंदिर स्थापित करना सबसे अच्छा माना जाता है लेकिन कुछ ऐसी तस्वीरें होती हैं, जिन्हें कभी भी पूजा घर में नहीं रखना चाहिए। वास्तु विद्वानों के अनुसार रौद्र रूप में राक्षसों का संहार करते हुए मां काली की तस्वीर घर में नहीं रखनी चाहिए क्योंकि इस तस्वीर में मां काली अत्यंत गुस्से में दिखाई देती हैं। ऐसा करने से घर में नकारात्मकता का संचार होता है। दक्षिणा काली या महाकाली के चित्र को स्थापित किया जा सकता है। श्मशान काली की पूजा आमतौर पर तांत्रिकों द्वारा कब्रिस्तान में की जाती है।

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