चेन्नई ही नहीं न जाने कितने शहरों में पड़ेगा पानी का सूखा, बूंद-बूंद को तरसेंगे लोग

चेन्नई ; ‘जल ही जीवन है’ इस कहावत को हम सभी ने कई बार सुना तो जरूर होगा, लेकिन इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया होगा। अब लोग चेन्नईवासियों से पानी की अहमियत के बारे में पता करें तो मालूम होगा कि उन्हें इन दिनों पानी के लिए किस कदर संघर्ष करना पड़ रहा है। अभी सिर्फ चेन्नई ही जल संकट से जूझ रहा है, लेकिन देश में जिस तरह के हालात हैं और जलाशय, पोखरे और नदियां सूखती जा रही हैं, इससे तो यही लगता है कि कई अन्य शहर भी जल्द ही सूखे और प्यास की चपेट में आ जाएंगे।
जल संकट भारत की अहम समस्याओं में से एक है और यहां पर स्थिति बेहद खतरनाक स्तर पर जाती दिख रही है। यह लगातार दूसरा साल है जब देश में मॉनसून कमजोर रहा और इस कारण देश की आबादी के एक-तिहाई हिस्से यानी 33 करोड़ लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ा। बारिश में लगातार आ रही गिरावट के कारण दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में जल की स्थिति खराब होती जा रही है। देश में सूखे का संकट गहराता जा रहा है। आईआईटी गांधीनगर की ओर से जारी चेतावनी में कहा गया कि देश के 40 फीसदी क्षेत्रों में सूखे का संकट बना हुआ है।
चेन्नई में जल संकट से परेशान लोगः केंद्रीय जल आयोग के अनुसार चेन्नई देश का पहला ऐसा शहर बन गया है जहां इस साल सूखा पड़ा है।आयोग की रिपोर्ट कहती है कि तमिलनाडु में इस बार बारिश में 41 फीसदी की कमी आई है। पिछले कई दिनों से पानी की कमी का सामना कर रहे चेन्नई की आबादी इस समय पानी के टैंक और पीने के पानी के लिए नगर निगम की ओर से मुहैया कराए जा रहे पानी पर निर्भर है। वहां पर पानी के लिए औरतों को लंबी-लंबी कतारों में घंटों खड़ा होते देखा जा सकता है। कई न्यूज चैनल लगातार इस भयावह तस्वीर को दिखा रहे हैं।
पानी बर्बाद नहीं करने का संदेशः शहर में शौच के लिए भी पानी की कमी पड़ गई हैं। शहर में पानी की किल्लत दूर करने के लिए विशेष ट्रेन से पानी चेन्नई भेजा जा रहा है। शहर में लोगों का नहाना और कपड़े धोना आसान नहीं रहा। वहां पर पानी भरने के लिए कई जगहों पर हिंसक झड़पें देखी गई हैं। बोतलबंद पानी के दाम 4 गुणा बढ़ गए हैं जबकि कैन वाटर सिर्फ अमीर लोगों के लिए सुलभ है। वहां पर स्थिति इस कदर भयावह है कि लोगों से अपने घर से ही काम करने को कह दिया गया है। कई रेस्तरां कुछ समय के लिए बंद कर दिए गए हैं। पूरे शहर में पानी बर्बाद नहीं करने का संदेश चस्पा कर दिया गया है।
जल आपूर्ति में लगातार गिरावटः सैटेलाइट के जरिए ली गई तस्वीरों से पता चलता है कि चेन्नई के अहम जलाशय (झील आदि) बीते एक साल में पूरी तरह सूख गए हैं। चेन्नई में 20 लाख से ज्यादा की आबादी दो या तीन साल की अवधि में कम से कम दो महीने तक ताजा पानी के संकट से जूझती है। 50 लाख आबादी वाला चेन्नई देश का छठा सबसे बड़ा शहर है और इसे हर दिन 80 करोड़ लीटर पानी की जरूरत है, लेकिन उनके लिए अभी सिर्फ 52.5 करोड़ लीटर ही उपलब्ध हो पा रहा है और इस आपूर्ति में भी तेजी से गिरावट आती जा रही है।
पानी के बेहद खराब प्रबंधन ने आज चेन्नई को ऐसे जल संकट में डाल दिया है जिसने उसे पानी को लेकर सबसे ज्यादा दबाव वाले न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के शहरों में शामिल करा दिया। सिर्फ चेन्नई ही नहीं बेंगलुरू और दिल्ली में जलस्तर तेजी से गिरता जा रहा है। महाराष्ट्र 47 साल के सबसे बड़े सूखे का सामना कर रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि अगले एक साल में जलसंकट के कारण 10 करोड़ प्रभावित होंगे।