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कर्नाटक में फिर होगा सियासी नाटक!, BJP के नाराज विधायकों ने येद्दियुरप्पा के खिलाफ खोला मोर्चा

बेंगलुरु: कर्नाटक में एक बार फिर सियासी नाटक देखने को मिल सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान सरकार में मंत्री न बनाए जाने से नाराज भाजपा के ही विधायकों ने मुख्यमंत्री बी.एस. येद्दियुरप्पा के खिलाफ  मोर्चा खोल दिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि राज्य सरकार में कांग्रेस से आए बागियों को मंत्री बनाने पर भाजपा में असंतोष पैदा हुआ है। येद्दियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर एक पत्र सोशल मीडिया पर जारी किया गया जिसके बाद भाजपा में असंतोष की अटकलें शुरू हुईं। वहीं कर्नाटक भाजपा के प्रवक्ता जी. मधुसूदन ने कहा कि सोशल मीडिया पर कन्नड़ में जारी किया गया अहस्ताक्षरित पत्र फर्जी है, पार्टी के अंदर कोई विद्रोह नहीं हुआ है।

6 फरवरी को दूसरे कैबिनेट विस्तार में येद्दियुरप्पा कैबिनेट में कांग्रेस तथा जद (एस) छोड़कर भाजपा में शामिल हुए 10 विधायकों को मंत्री बनाया गया जिन्होंने विधानसभा में स्पष्ट बहुमत साबित करने में भाजपा की मदद की थी। इस पर पार्टी के वरिष्ठ विधायकों का कहना है कि उनकी वर्षों की सेवा की अनदेखी की गई और उनकी कीमत पर कांग्रेस के बागियों को मंत्री पद से नवाजा गया। यही नहीं, नाराज विधायकों का आरोप है कि येद्दियुरप्पा के बेटे बी.वाई. विजयेंद्र राज्य में सुपर सी.एम. की तरह काम कर रहे हैं।

इस आरोप पर मधुसूदन ने कहा कि वह सिर्फ पार्टी गतिविधियों में अपने पिता की सहायता कर रहे हैं क्योंकि वह एक पार्टी कार्यकर्त्ता भी हैं। कांग्रेस के 13 तथा जद (एस) के 4 विधायकों ने अपनी-अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। इन 13 लोगों ने पिछले साल 5 दिसम्बर को हुए उपचुनाव में किस्मत आजमाई थी और उनमें से 11 लोगों को जीत मिली थी जबकि 2 हार गए थे।

पूर्व मुख्यमंत्री शेट्टार से मिले असंतुष्ट विधायक
असंतुष्ट विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार से भी मुलाकात की। सोमवार शाम को भाजपा के वरिष्ठ विधायक उमेश कट्टी, मुरुगेश निरानी, अरविंद बेलाद और शंकर पाटिल मुननकोप्पा ने शेट्टार से मुलाकात की। ये सभी विधायक मंत्री पद चाहते थे लेकिन हालिया विस्तार में येद्दियुरप्पा मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए गए।

हालांकि शेट्टार ने इन्कार किया है कि उन्होंने असंतुष्ट विधायकों के साथ बैठक की। वह सुबह ही नाश्ते के समय येद्दियुरप्पा के घर गए और यह स्पष्ट करना चाहा कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ विधायक उनके निर्वाचन क्षेत्रों में उद्योग मंत्रालय से संबंधित मुद्दों के बारे में उनसे मिले थे, इसके अलावा और कोई अन्य गतिविधि नहीं हुई थी।

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