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भारत की सुस्‍त अर्थव्‍यवस्‍था को दोबारा पटरी पर लाने का काम कर सकता है आम बजट 2020

 मोदी सरकार का सातवां बजट क्रांतिकारी भले ही न हो, मगर सुस्ती के भंवर में फंसी भारत की अर्थव्यवस्था को उबारने के पिछले दस माह से जारी उसके प्रयासों में इसके प्रावधानों से जमीन पर तेजी आने के आसार जरूर बन सकते हैं। बजट में बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने से लेकर प्रोफेशनलों को आयकर में राहत, स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने जैसे समयानुकूल जरूरतों पर ध्यान दिया गया है। नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के इस दूसरे बजट में ऐसे किसी भी प्रावधान को लागू करने की गुंजाइश नहीं बची थी जिससे अर्थव्यवस्था में कोई चमत्कारी बदलाव आ जाता, क्योंकि सुस्त हालात के मद्देनजर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पिछले आठ महीने से वित्तीय और प्रक्रियात्मक सुधारों की घोषणा लगातार करती आ रही हैं।

वित्त मंत्री ने इस दौरान कम से कम चार बार अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण सेक्टरों के लिए रियायतों, राहत पैकेजों की बौछार की है। बजट में यह प्रावधान किया गया है कि निवेश को निर्बाध करने के लिए इंटरनेट पोर्टल आधारित निवेश निर्गम प्रकोष्ठ बनाया जाएगा जो केंद्रीय और राज्य स्तर पर भी सर्वागीण सहायता सेवा देगा। इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में घरेलू उत्पादन और निवेश को प्रोत्साहन से रोजगार भी बढ़ेंगे। देश के प्रत्येक जिले में किसी उत्पाद विशेष का निर्यात केंद्र बनाने की महत्वाकांक्षी घोषणा है, पर इसमें दो-तीन साल लग जाएंगे। बिजली के सामानों पर आयात शुल्क पांच से दस फीसद तक बढ़ा कर उन्हें भारत में ही ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनाने को बढ़ावा देने की कोशिश है।

दीवानी मामलों में आपराधिक कार्रवाई से राहत पर वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया कि करदाताओं का शोषण खत्म करने को सरकार प्रतिबद्ध है और कंपनीज एक्ट 2013 के कई प्रावधानों को आपराधिक श्रेणी से हटाने की तैयारी है। पिछले साल नवंबर में कंपनी कानून समिति ने 46 दंडात्मक प्रावधानों को केवल जुर्माने की श्रेणी में डालने या सिर्फ सुधार की अनुमति देकर मामला निपटाने के विकल्प की अनुशंसा की थी। सुस्ती के दौर में जीएसटी वसूली में पिछड़ी सरकार ने अपनी आमदनी चालू रखने के लिए सरकार द्वारा ई-कॉमर्स के तहत लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस के रूप में नए शुल्क का प्रस्ताव किया है। इसके लिए कानून में नई धारा 194-ओ जोड़ी जाएगी और ई-कॉमर्स विक्रेता भी कर के दायरे में आ जाएंगे। इसके साथ-साथ धारा 197 (कम टीडीएस), धारा 204 (किसी राशि का भुगतान करने वाले व्यक्ति को परिभाषित करना) और धारा 206 एए (गैर पैन आधार मामलों में पांच प्रतिशत की कटौती के लिए) में भी संशोधन का प्रस्ताव है। ये संशोधन आगामी एक अप्रैल से लागू होंगे।

आयकर चुकाने के लिए और अधिक करदाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए आयकर रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया ऑनलाइन करने के बाद करदाताओं के लिए कर वाद में अपील करना भी आसान किया जाएगा। नई व्यवस्था में करदाताओं की अपील पर उनकी पहचान उजागर नहीं की जाएगी। सरकार अब करदाताओं के अधिकारों का चार्टर भी लाएगी। इसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा संबंधित कानून में बदलाव किया जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि इससे करदाता और प्रशासन के बीच भरोसा बढ़ेगा।

इसी मंशा से सरकार पिछले चार साल में कर प्रशासन से संबंधित करीब 50 अफसरों को सेवा पूरी होने से पहले रिटायर कर चुकी है। आयकर बचाने के नाम पर धर्मार्थ संस्थाओं को दान देने में फर्जीवाड़े पर लगाम के लिए अस्पताल और धर्मार्थ ट्रस्टों के लिए हर पांच साल में पंजीकरण नवीनीकरण का प्रावधान लाया गया है। दानदाताओं की सूची भी सालाना नहीं जमा करने पर दंड लगेगा। संस्थाओं को विशिष्ट पंजीकरण संख्या मिलने से दान देने वाले करदाताओं के लिए आइटीआर में छूट लेना आसान हो जाएगा।

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