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भारतीय सेना बदलाव की दहलीज पर, छद्म युद्ध और सीमा पार आतंकवाद अहम चुनौतियां: CDS रावत

नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि भारतीय सशस्त्र बल बदलाव की दहलीज पर हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत के सामने अब भी छद्म युद्ध और सीमा पार आतंकवाद जैसी अहम सुरक्षा चुनौतियां हैं। CDS रावत ने इस आलोचना को भी खारिज किया कि सशस्त्र बल जम्मू-कश्मीर में लोगों के अधिकारों का दमन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत और आतंकवाद के खतरों पर विचार करते हुए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। भारत में कट्टरपंथी सोच बदलने वाले शिविर होने संबंधी विवादित टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनका मतलब था कि लोगों का उनके विचारों के आधार पर वर्गीकरण और युवाओं की कट्टरपंथी सोच को बदलने के अथक प्रयासों के प्रभाव का मूल्यांकन।

उन्होंने कहा कि जब मैंने शिविर कहा तो मेरा मतलब लोगों के समूह से था। पिछले महीने रायसीना संवाद में अपने संबोधन में जनरल रावत ने कहा कि देश में कट्टरपंथी सोच बदलने के शिविर चल रहे हैं क्योंकि यह पूरी तरह से कट्टरपंथी हो चुके लोगों को अलग करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि 10 और 12 साल की आयु की लड़कियों और लड़कों को घाटी में कट्टरपंथी बनाया जा रहा है। इसे चिंता का विषय बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में कट्टरपंथी सोच को बदलने वाले शिविर चल रहे हैं। CDS रावत ने अलग लॉजिस्टिक कमांड के साथ-साथ वायु रक्षा कमांड की योजनाओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करने पर होगा। CDS ने यह भी कहा कि सशस्त्र बल चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं।

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