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दिल्ली में करारी हार के बाद कांग्रेस में घमासान, पीसी चाको ने किया इस्तीफे का ऐलान

नई दिल्लीः दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद दिल्ली कांग्रेस के चुनाव प्रभारी पीसी चाको ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। वहीं इससे पहले मंगलवार को नतीजे घोषित होते ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बुधवार को चाको ने घोषणा की कि उन्होंने सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है।

शीला दीक्षित पर उठाए सवाल
पीसी चाको के एक बयान से पार्टी में घमासान शुरू हो गया है और कई नेताओं ने चाको पर हमला बोला है। दरअसल, कांग्रेस नेता चाको ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का पतन 2013 में शुरू हुआ जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं। उन्होंने कहा कि एक नई पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) के उदय ने कांग्रेस के पूरे वोट बैंक को छीन लिया। हम इसे कभी वापस नहीं पा सके। यह अभी भी AAP के साथ बना हुआ है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने इसको लेकर चाको पर निशाना साधा और कहा कि चुनावी हार के लिए दिवंगत शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है। देवरा ने कहा कि शीला दीक्षित जी एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ और प्रशासक थीं। मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली की तस्वीर बदली और कांग्रेस पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुई। उनके निधन के बाद उनको जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने अपना जीवन कांग्रेस और दिल्ली के लोगों के लिए समर्पित कर दिया। शीला दीक्षित के करीबी रहे कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी चाको पर निशाना साधते हुए कहा कि 2013 में जब हम हारे तो कांग्रेस को दिल्ली में 24.55 फीसदी वोट मिले थे। शीला जी 2015 के चुनाव में शामिल नहीं थीं जब हमारा वोट प्रतिशत गिरकर 9.7 फीसदी हो गया। 2019 में जब शीला जी ने कमान संभाली तो कांग्रेस का वोट प्रतिशत 22.46 फीसदी हो गया। लेकिन इस बार वोट प्रतिशत काफी गिर गया।

सोनिया ने अभी स्वीकार नहीं किया सुभाष चोपड़ा का इस्तीफा
दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने मंगलवार को पद से इस्तीफा दे दिया। चोपड़ा ने हाई कमान को अपना इसतीफा भेज दिया है जिसे आलाकमान ने अभी स्वीकार नही किया है। पिछले साल अक्टूबर में तीसरी बार दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त हुए चोपड़ा ने इस्तीफा देने से पहले कांग्रेस मुख्यालय में कहा कि उन्होंने अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी को मज़बूत बनाने के लिए कठिन परिश्रम किया और उन्हें कार्यकत्ताओं का भी पूरा सहयोग मिला लेकिन पार्टी हार हुई और इसके लिए वह नैतिक रूप से जिम्मेदार है। कांग्रेस का इस चुनाव में भी सूपड़ा साफ हुआ है। पिछली बार की तरह उसे एक भी सीट नहीं मिली। इस बार पार्टी ने 67 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसके 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है जिनमें चोपड़ा की बेटी भी शामिल है। इस बार पार्टी का मत प्रतिशत पांच से भी नीचे आ गई जो पिछले चुनाव के करीब 10 फीसदी था।

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