सीरिया से राष्ट्रपति बशर अल असद के भागने के बाद लगभग पूरे सीरिया विद्रोही गुटों का कब्जा हो गया है. विद्रोही लड़ाकों के दमिश्क में दाखिल होते ही वहां के लोगों ने उनका स्वागत किया और जश्न मनाया. सीरिया में बशर अल असद का तख्तापलट ईरान के लिए किसी झटके से कम नहीं है. सीरिया सरकार में ईरान का बड़ा दाखिला रहता था और अब यहां सुन्नो गुटों के राज आने के बाद उसके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
ईरान के प्रेस टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सीरियाई विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा करने के बाद ईरान के दूतावास पर हमला किया. सोशल मीडिया पर फुटेज में मारे गए हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह और मारे गए ईरानी कुद्स फोर्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी का बैनर दिखाया गया है, जिसे भीड़ फाड़ रही है.
ईरान की एंबेसी पर हमले का मतलब
ईरान एंबेसी पर हमला कर विद्रोही और उनकी समर्थक भीड़ ने इस बात के संकेत दिए हैं कि सीरिया का नए युग में ईरान की जगह नहीं हैं. वहीं दूसरे और इजराइल भी सीरिया की सभी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है, इजराइल अधिकारियों का कहना है कि वह विद्रोही समूह की मूल विचारधारा के लिए चिंतित है. इजराइल को डर है कि कही विद्रोह समूह गोलान हाइट्स की ओर से इजराइल पर हमला न कर दें.
ईरान का असद सरकार को समर्थक
बशर अल असद एक शिया नेता थे, जो मुस्लिम बहुल सीरिया पर 24 सालों से शासन कर रहे थे. असद का कई विरोध प्रदर्शनों को क्रूरता से कुचलने का इतिहास है. दुनिया भर की आलोचनाओं के बावजूद ईरान ने सीरिया को समर्थन देना जारी रखा और 2011 के विद्रोह के बाद असद सरकार के बने रहने में अहम भूमिका निभाई.
सीरिया सेना की ईरान आर्थिक और सैन्य मदद करने के साथ-साथ उन्हें कई और तरह की मदद देता है. 2011 के बाद सीरिया की रूस और ईरान से दोस्ती और गहरी हुई थी, जिसकी मदद से उसने सभी विद्रोह को कामयाबी से कुचल दिया था.
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