डेब्यू मैच में ही बना टीम इंडिया का सबसे बड़ा बल्लेबाज, पर्थ टेस्ट में दिखाया दिग्गजों को आईना

ऑस्ट्रेलिया में 55 दिन के अंदर 5 टेस्ट मैच की सीरीज के सफर में टीम इंडिया की शुरुआत वैसी ही रही, जिसका डर हर किसी को सता रहा था. पर्थ में पहले टेस्ट मैच के पहले ही दिन टीम इंडिया को सीरीज के आने वाले मुकाबलों की डरावनी तस्वीर देखने को मिल गई. ऑप्टस स्टेडियम में शुरू हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की शुरुआत टीम इंडिया के बल्लेबाजों के फ्लॉप शो के साथ हुई, जिसमें यशस्वी जायसवाल, देवदत्त पडिक्कल जैसे नए और युवा बल्लेबाज पूरी तरह नाकाम रहे तो विराट कोहली जैसे अनुभवी बल्लेबाज भी फेलियर साबित हुए. ऐसे वक्त में टीम इंडिया को उस बल्लेबाज ने एक राह दिखाई, जिसके सेलेक्शन पर सवाल उठ रहे थे. ये बल्लेबाज हैं नीतीश कुमार रेड्डी, जो पहली पारी में भारत के नंबर-1 बल्लेबाज साबित हुए.

टॉप ऑर्डर बुरी तरह फेल

पर्थ में टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी चुनी, जिसकी उम्मीद की जा रही थी क्योंकि यहां खेले गए पिछले चारों टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए जीत ही दर्ज की थी. ऐसे में टीम इंडिया ने भी उसी उम्मीद के साथ ये फैसला किया था लेकिन पहले से ही कमजोर नजर आ रही भारतीय बल्लेबाजी ने हर किसी के डर को सच में बदल दिया. पहले सेशन में ही टीम इंडिया ने विराट कोहली और केएल राहुल समेत 4 विकेट गंवा दिए थे. पहली बार ऑस्ट्रेलिया में खेल रहे यशस्वी और देवदत्त तो खाता भी नहीं खोल सके जबकि कोहली पर्थ के बाउंस के समझने में नाकाम रहे.

केएल राहुल जरूर दमदार नजर आ रहे थे लेकिन उनको विवादास्पद तरीके से अंपायर ने आउट दे दिया. टीम इंडिया के लिए उम्मीद के मुताबिक ऋषभ पंत ने मोर्चा संभाल लिया था लेकिन उनका साथ देने आए ध्रुव जुरेल और वॉशिंगटन सुंदर कुछ खास नहीं कर सके. फिर क्रीज पर आए आठवें नंबर के बल्लेबाज नीतीश रेड्डी, जो अपना टेस्ट डेब्यू कर रहे हैं. सिर्प 21 साल के इस बल्लेबाज ने सिर्फ पंत का साथ ही नहीं दिया, बल्कि अपनी काबिलियत भी दिखाई और बताया कि उनका सेलेक्शन गलत नहीं था. रेड्डी ने पंत के साथ मिलकर 7वें विकेट के लिए 48 रन की अहम साझेदारी की और टीम को 100 रन के अंदर ढेर होने से बचाया.

नीतीश ने दिखाई अपनी काबिलियत

सबसे खास बात थी रेड्डी की बल्लेबाजी का तरीका. इस टेस्ट से पहले इंडिया ए की ओर से खेलते हुए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ छोटी पारियां खेली थीं, जिसमें उन्होंने कुछ आक्रामक शॉट्स लगाए थे. इसको लेकर उनकी आलोचना भी हुई थी लेकिन उनका यही आक्रामक अंदाज यहां टीम इंडिया के काम आया. नीतीश ने बैकफुट और फ्रंटफुट का अच्छे से इस्तेमाल किया. खास तौर पर स्पिनर नाथन लायन के खिलाफ जिस तरह से आगे बढ़कर उन्होंने कुछ कमाल के ड्राइव लगाए, जो ये बताने के लिए काफी था कि उन्होंने कम वक्त में ही पर्थ की पिच के मिजाज को भांप लिया था. रेड्डी ने टीम को 150 रन तक पहुंचाया लेकिन वो खुद अपना अर्धशतक पूरा नहीं कर सके. रेड्डी ने 41 रन बनाए और आखिरी बल्लेबाज के तौर पर आउट हुए लेकिन इतनी सी पारी में ही उन्होंने टीम के बाकी बल्लेबाजों को आईना भी दिखा दिया.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.