बम-गोली से नहीं, दम घोटकर हिजबुल्लाह नेताओं को मार रहा है इजराइल

पिछले एक साल से गाजा-पट्टी में हमास आतंकियों से लड़ रहे इजराइल ने लेबनान में हिजबुल्लाह नेताओं को मारने के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. दोनों जगहों पर आईडीएफ से बचने के लिए बनाई गई सुरंगों में आतंकी खुद को सुरक्षित मानते थे, लेकिन अब इजराइल ने उसका भी तोड़ ढूंढ लिया है. पहले हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह और अब उसके उत्तराधिकारी हाशिम सफीउद्दीन को कुछ इसी तरीके से इजराइल ने मौत के घाट उतारा है.

इजराइल ने 27 सितंबर को हिजबुल्लाह महासचिव हसन नसरल्लाह की हत्या की थी, इसके बाद इस महीने की 10 तारीख को बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में अल-मारिजा क्षेत्र में एक हवाई हमला करते हुए हिजबुल्लाह की परिषद के प्रमुख हाशिम सफीउद्दीन (जो हसन नसरल्लाह की जगह लेने वाले थे) को मौत के घाट उतार दिया. हालांकि तेल अवीव ने दो दिन पहले ही उनकी मौत की घोषणा की थी, लेकिन हिजबुल्लाह ने बुधवार को इस खबर की आधिकारिक पुष्टि की.

इजराइल ने अपनाई नई तकनीक

सूत्रों ने हाशिम सफीउद्दीन की मौत को लेकर नई जानकारी दी है, जिसमें बताया गया है कि सफीउद्दीन इजराइल के सीधे हवाई हमलों में नहीं मरा, वह अल-माजिरा में एक इमारत के नीचे बनी टनल में मौजूद था, जिसपर आईडीएफ ने बमबारी की. वहां पर उसके साथ 7 प्रशिक्षित सशस्त्र लोग भी थे. सूत्रों ने बताया कि इस हमले के बाद वह तीन दिन तक जिंदा रहे, लेकिन इसके बाद दम घुटने से उनके और हिजबुल्लाह के सात प्रशिक्षित सशस्त्र सदस्यों की मौत हो गई.

इजराइल ने 27 सितंबर को हिजबुल्लाह महासचिव हसन नसरल्लाह की हत्या की थी, इसके बाद इस महीने की 10 तारीख को बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में अल-मारिजा क्षेत्र में एक हवाई हमला करते हुए हिजबुल्लाह की परिषद के प्रमुख हाशिम सफीउद्दीन (जो हसन नसरल्लाह की जगह लेने वाले थे) को मौत के घाट उतार दिया. हालांकि तेल अवीव ने दो दिन पहले ही उनकी मौत की घोषणा की थी, लेकिन हिजबुल्लाह ने बुधवार को इस खबर की आधिकारिक पुष्टि की.

इजराइल ने अपनाई नई तकनीक

सूत्रों ने हाशिम सफीउद्दीन की मौत को लेकर नई जानकारी दी है, जिसमें बताया गया है कि सफीउद्दीन इजराइल के सीधे हवाई हमलों में नहीं मरा, वह अल-माजिरा में एक इमारत के नीचे बनी टनल में मौजूद था, जिसपर आईडीएफ ने बमबारी की. वहां पर उसके साथ 7 प्रशिक्षित सशस्त्र लोग भी थे. सूत्रों ने बताया कि इस हमले के बाद वह तीन दिन तक जिंदा रहे, लेकिन इसके बाद दम घुटने से उनके और हिजबुल्लाह के सात प्रशिक्षित सशस्त्र सदस्यों की मौत हो गई.

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