हाल ही में इकरा की एक रिपोर्ट आई थी. जिसमें कहा गया था कि आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए भारत सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 से 3 रुपए प्रति लीटर की कटौती कर सकती है. लेकिन इजराइल-ईरान वॉर इस कटौती के आगे खड़ा हो सकता है. जी हां, इजराइल ईरान की टेंशन मिडिल ईस्ट में कच्चे तेल की सप्लाई को रोक सकती है. जिसका असर कीमतों में देखने को मिल सकता है. जब ईरान ने इजराइल पर हमला किया तो कच्चे तेल के दाम 4 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए थे. जिसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतें 74 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई थी. जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल की सप्लाई एक मीलियन प्रति बैरल डिस्टर्ब हो सकती है. अगर ऐसा होता है तो ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकते हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मिडिल ईस्ट की टेंशन भारत के लिए मुश्किलें कैसे खड़ी कर सकती हैं?
रॉकेट हुए कच्चे तेल के दाम
इंटरनेशनल मार्केट के आंकड़ों को देखें तो कच्चे तेल के दाम में तेजी देखी जा रही है. ईरान की ओर से इजराइल पर अटैक के बाद कच्चे तेल के दाम रॉकेट हो गए हैं. मौजूदा आंकड़ों को देखें तो खाड़ी देशों के तेल ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम डेढ़ फीसदी की तेजी के साथ 74.64 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. वैसे एक दिन पहले ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 75.45 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी. ईरान के मिसाइल दागने के बाद से कच्चे तेल के दाम में 5 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिल चुकी है.
वहीं दूसरी ओर अमेरिकी क्रूड ऑयल की कीमतों में अच्छी तेजी देखने को मिल रही है. बुधवार को डब्ल्यूटीआई की कीमत 1.63 फीसदी की तेजी के साथ 70.97 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. वैसे एक दिन पहले कीमतें 71 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई थी. वैसे 24 घंटे में अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतों में 5.53 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिल चुकी है.
80 डॉलर तक पहुंच सकते हैं दाम
जियो पॉलिटिकल टेंशन काफी बढ़ चुका है. जहां इजराइल के साथ अमेरिका आकर खड़ा हो गया है. वहीं दूसरी ओर ईरान के साथ दूसरे खाड़ी देश भी एकजुट हो रहे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में और भी ज्यादा तेजी देखने को मिल सकती है. जानकारों की मानें तो अगर मिडिल ईस्ट की टेंशन कम नहीं हुई तो इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है. रॉयटर्स के अनुसार अगर मिडिल ईस्ट की टेंशन कम नहीं हुई तो आने वाले दिनों में 1 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल की सप्लाई डिस्टर्ब हो सकती है. जिसकी वजह से कच्चे तेल के दाम में तेजी देखी जा सकती है. वहीं दूसरी ओर बुधवार को ओपेक प्लस की मीटिंग भी होने जा रही है. जिसमें सप्लाई बढ़ाने या फिर यथास्थिति बनाए रखने पर विचार होगा. इस मीटिंग में रूस भी पार्टिसिपेट करेगा. साथ ईरान की परिस्थितियों को लेकर भी चर्चा की जा सकती है.
भारत पर क्या पड़ेगा असर?
इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम अगर 80 डॉलर या फिर उससे पार पहुंचते हैं तो आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम करने की प्लानिंग को टाला जा सकता है. जैसा कि इकरा की हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि आने वाले दिनों में फ्यूल की कीमतों में 2 से 3 रुपए की कटौती की जा सकती है. मौजूदा समय में भारत अपनी जरुरत का 85 फीसदी क्रूड ऑयल इंपोर्ट करता है. भारत के इंपोर्ट बिल का बड़ा हिस्सा कच्चे तेल का है. अगर क्रूड ऑयल की कीमतें कम होती हैं तो भारत का इंपोर्ट बिल कम होता है और भारत पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम करने में मदद मिलती है. जिससे देश में महंगाई कंट्रोल में रहती है. लेकिन कच्चे तेल की कीमतों की कीमतों में इजाफा होता है तो देश से विदेशी मुद्रा आउट फ्लो ज्यादा होता है और महंगाई बढ़ती है. जिसका देश की इकोनॉमी पर एडवर्स इफेक्ट पड़ता है.
इकोनॉमी पर कैसे पड़ता है असर
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत के कुल इंपोर्ट में करीब 25 फीसदी हिस्सेदारी क्रूड ऑयल की होती है, जो मिडिल ईस्ट और रूस से इंपोर्ट किया जाता है. रिपोर्ट के अनुसार कच्चे तेल के दामों में जो उतार-चढ़ाव होते हैं, उससे भारत की महंगाई पर सीधा असर पड़ता है। अगर कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी होती है तो महंगाई में लगभग 0.49 फीसदी का इजाफा देखने को मिलता है. इसका मतलब है कि इस इजाफे के साथ भारत के राजकोषीय घाटे में 0.43 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. रिपोर्ट का मानना है कि इतना ही असर देश की जीडीपी में यानी 0.43 फीसदी की गिरावट के रूप में देखने को मिलेगा. ईरान के हमले के बाद से ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में 4 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा का इजाफा देखने को मिल चुका है. अगर कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल पार जाती हैं तो आने वाले दिनों में देश की इकोनॉमी पर बुरा असर देखने को मिलेगा.
ईरान के हमले से पहले की स्थिति
ईरान के हमले से पहले की स्थिति के बारे में बात करें तो मौजूदा वित्त वर्ष की पहले हाफ में एमसीएक्स पर कच्चे तेल की कीमतों में 17 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी थी. जबकि ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में 17 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है. 28 मार्च यानी पिछले वित्त वर्ष के आखिरी कारोबारी दिन ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 87.48 डॉलर प्रति बैरल थे. 30 सितंबर तक ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में 16 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा कम हो चुके थे. जिसकी वजह से देश की ऑयल कंपनियों को जबरदस्त मुनाफा देखने को मिल रहा था. इकरा की रिपोर्ट के अनुसार भारत में ओएमसी को पेट्रोल पर 15 रुपए और डीजल पर 12 रुपए प्रति लीटर का मुनाफा हो रहा था.
क्या कहते हैं जानकार
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी करेंसी के हेड अनुज गुप्ता के आने जियो पॉलिटिकल टेंशन अपने चरम पर है. जिसके जल्द कम होने के आसार नहीं लग रहे हैं. जिसका असर कच्चे तेल की सप्लाई में देखने को मिल सकता है. जिसके बाद कच्चे तेल के दाम में और इजाफा देखने को मिलेगा. उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दिनों में क्रूड ऑयल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती हैं. जिसकी वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम करना थोड़ा मुश्किल टास्क हो सकता है.
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