महंगाई के मोर्चे पर सरकार और RBI के लिए अच्छी खबर है. जुलाई महीने के लिए थोक महंगाई के आंकड़े जारी हो गए हैं जिसके मुताबिक पिछले महीने में थोक महंगाई दर घटकर 2.04 फीसदी रही है जो आरबीआई और सरकार के लिए राहत की सांस लेने की वजह बन सकती है. इससे पिछले महीने यानी जून में होलसेल इंफ्लेशन रेट 3.36 फीसदी रहा था और ये 16 महीने का ऊंचा स्तर था.
अनुमान से भी कम रही होलसेल महंगाई दर
रॉयटर्स का अनुमान था कि जुलाई में भारत की थोक महंगाई दर 2.39 फीसदी पर रह सकती है और असली आंकड़ा तो इससे नीचे का ही है. इसका असर रिजर्व बैंक की अगली मौद्रिक नीति के फैसलों में शायद देखा जा सकता है और आरबीआई अपनी ब्याज दरें भी घटाने के बारे में सोच सकता है. महंगाई को कण्ट्रोल करना सरकार के लिए काफी समय से चुनौती बनी हुई थी.
यहां बढ़ी महंगाई
प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर जुलाई में घटकर 3.08 फीसदी पर आ गई है जो जून में 8.80 फीसदी पर थी. फ्यूल एंड पावर सेगमेंट की महंगाई दर में इजाफा देखा गया है और ये 1.72 फीसदी पर आई है जो जून में 1.03 फीसदी पर रही थी. मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स सेगमेंट की महंगाई दर में भी तेजी आई है. जुलाई में विनिर्माण उद्योग के उत्पादों की थोक महंगाई दर 1.58 फीसदी पर रही है जो जून में 1.43 फीसदी पर थी.
सोमवार 12 अगस्त को जारी आंकड़ों में खुदरा मुद्रास्फीति 3.54 फीसदी पर रही थी. ये इसका 59 महीने या 5 साल का निचले स्तर रहा है. पहली राहत तो आरबीआई को इसी से मिली क्योंकि महंगाई दर के बेस आंकड़ों में सीपीआई इंफ्लेशन या खुदरा महंगाई दर का वेटेज थोक महंगाई से ज्यादा रहता है. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने अपनी ताजा क्रेडिट पॉलिसी में भी कहा है कि आरबीआई के तय महंगाई लक्ष्य (4 फीसदी) के लिए मुख्य रूप से इस साल के बाकी महीनों के आंकड़ों पर नजर रखनी जरूरी है.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.