शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है. यह अनुशासन अधिक पसंद करते हैं. सभी नौ ग्रहों में शनिदेव को सबसे क्रोधित और शक्तिशाली ग्रह बताया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव अपनी ही राशि में वक्री चाल में हैं. माना जाता है कि जब शनिदेव विपरीत दिशा में गोचर करते हैं तो उनका प्रभाव काफी बढ़ जाता है. इसे ही शनि की साढ़ेसाती भी कहा जाता है. अभी शनिदेव की वक्री चल रही हैं. इसके बाद 15 नवंबर को कुंभ राशि से मार्गी हो जाएंगे. शनि देव की उल्टी चाल के समय कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जो शनि देव को अच्छा न लगे.
किन राशि वालों पर होगा प्रभाव?
शनिदेव का विपरित दिशा में गोचर के दौरान प्रभाव काफी बढ़ जाता है. वहीं शनिदेव की साढ़ेसाती मीन, कुंभ और मकर राशि पर चल रही है. इसके अलावा वृश्चिक और कर्क राशि पर ढैय्या का प्रभाव है. ऐसी स्थिति में आर्थिक स्थिति के साथ घर परिवार का माहौल भी बिगड़ सकता है. इस दौरान किसी भी शुभ काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए.
भूलकर भी न करें ये काम
शनि देव न्याय प्रिय देवता माने जाते हैं. ऐसे में जब शनिदेव वक्री अवस्था में हो, तब ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी राशि के जातकों को कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे शनि महाराज को अधिक पीड़ा हो. जैसे लोग लोभ लालच अधिक महत्वाकांक्षाओं से दूर रहना चाहिए. बुजुर्ग का अपमान नहीं करना चाहिए. इसके अलावा बॉडी पर नियंत्रण रखना चाहिए. वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए. कटु वचन बोलने वाले को शनिदेव हमेशा दंड ही देते हैं. इस दौरान पशु-पक्षी साधु संत माता-पिता आदि की सेवा आराधना करना चाहिए.
शनिदेव की वक्री में करें ये काम
शनिदेव की वक्री के दौरान लोगों के पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. लोहे की कटोरी में सरसों को तेल भरकर उसमें अपनी छवि देखकर तैल को कटोरी के साथ दान करना चाहिए. इस अवधि में सुंदर कांड अथवा हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. शनिदेव की वक्री के दौरान लोहा.काली उड़द सरसों का तेल. काले तिल, काले कपड़े और कंबल का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
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