सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2022 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने ईडी के काम करने के तरीके पर टिप्पणी की और कहा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पांच हजार मामले दर्ज किए जाते हैं, लेकिन उनमें से केवल 40 में ही सजा हो पाती है.
इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत, सीटी रविकुमार और उज्ज्वल भुइंया की पीठ ने इसे 28 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया. पीठ ने कहा कि क्या पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने की ईडी की शक्तियों को बरकरार रखने वाले उसके 2022 के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है?
ऐसे आरोप देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहे हैं- SC
सुनवाई शुरू होते ही ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीन जजों की पीठ से कहा कि समीक्षा याचिकाएं अचानक सूचीबद्ध की गई हैं और उन्हें कुछ समय चाहिए. मेहता ने पीठ से कहा, ‘इन्हें अचानक सूचीबद्ध किया गया है. हमें तैयारी के लिए कुछ समय चाहिए. हमें पता चला कि मामला कल देर रात सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. कृपया इसे बाद की तारीख में सुनें.’
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि आपको अभियोजन की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है. इस तरह के गंभीर आरोप देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहे हैं. यहां आप कुछ व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयानों का राग अलाप रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह के मौखिक साक्ष्य, कल भगवान जाने कि वह इस पर कायम रहेंगे या नहीं? पीठ ने कहा कि इस बारे में कुछ वैज्ञानिक साक्ष्य होने चाहिए.
अगली सुनवाई के लिए 28 अगस्त को होगी
वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि 2022 का फैसला गलत है और इस पर पुनर्विचार की जरूरत है. शीर्ष अदालत ने मामले को स्थगित करने पर सहमति जताई और याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की.
अदालत कुछ मानदंडों के आधार पर तीन न्यायाधीशों की पीठ के 27 जुलाई, 2022 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. अपने 2022 के फैसले में अदालत ने पीएमएलए के तहत संपत्ति की तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी के संबंध में ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा था.
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