वित्त वर्ष 2023-24 (आकलन वर्ष 2024-25) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की डेडलाइन 31 जुलाई, 2024 को खत्म हो गई है. देश के 7 करोड़ से ज्यादा लोगों की ओर से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया है. अब देश के अधिकतम टैक्सपेयर्स अपने रिफंड का इंतजार कर रहे हैं. सोर्स पर एक्सेस टैक्स डिडक्शन यानी टीडीएस या सरप्लस एडवांस टैक्स पेमेंट के कारण इनकम टैक्स रिफंड जेनरेट होता है.
जिन टैक्सपेयर्स ने पूरे वित्त वर्ष में अपने टैक्स का ज्यादा पेमेंट किया है, वे अपना आईटीआर दाखिल करके रिफंड क्लेम कर सकते हैं. जिसे फाइलिंग प्रोसेस के दौरान स्पेसिफाइड बैंक अकाउंट में सीधे जमा किया जाता है. इस वर्ष, देश के कई टैक्सपेयर्स ने अपने रिफंड प्राप्त करने में देरी की सूचना दी है. ऐसे में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर रिफंड प्रोसेस्ड करने की डेडलाइन क्या है? रिफंड के देरी के संभावित कारण क्या हो सकते हैं? अपने रिफंड के स्टेटस की जांच कैसे कर सकते हैं?
आईटीआर रिफंड और प्रोसेसिंग की अवधि
एक बार आईटीआर दाखिल करने के बाद, आयकर विभाग आमतौर पर कुछ हफ्तों के भीतर रिफंड का प्रोसेस शुरू कर देता है. हालांकि, ऑटोमेशन और डेटा एनालिटिक्स में हाल की प्रगति ने इस प्रोसेस को काफी तेज कर दिया है और टैक्स रिटर्न के जल्द वेरिफिकेशन की उम्मीदें बढ़ गई हैं, जिससे अधिकांश टैक्सपेयर्स को पिछले सालों की तुलना में तेजी से अपने रिफंड प्राप्त होने की उम्मीद जगी है. जबकि अधिकांश टैक्सपेयर्स को अपना रिफंड तुरंत मिल जाने की उम्मीद है. वहीं इसके लिए विपरीत कांप्लीकेटिड रिटर्न या आईटीआर में डेटा में गलती होने की वजह से आईटीआर रिफंड ममं देरी होने की संभावना बनी रहती है.
रिफंड प्रोसेस में देरी होने के प्रमुख कारण
इनकम टैक्स रिफंड में देरी के पीछे के कारणों को समझने से टैक्सपेयर्स को फाइलिंग प्रोसेस की जटिलताओं से निपटने में मदद मिल सकती है और यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि उन्हें अपना रिफंड तुरंत मिल जाए। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इनकम टैक्स रिफंड में देरी प्रमुख कारण क्या हो सकते हैं.
- एक्सट्रा इंफोर्मेशन की जरुरत: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट असेसमेंट पूरा होने तक रिफंड प्रोसेस को रोककर टैक्सपेयर्स से अतिरिक्त जानकारी मांग सकता है.
- मिस्मैच्ड कैलकुलेशन: दी गई कैलकुलेशन के आधार पर डिपार्टमेंट टैक्स लायबिलिटी की पुष्टि करता है. अगर कुछ त्रुटी होती है तो भुगतान राशि का विवरण देने वाला एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है. अगर कोई खामी पाई जाती ळै तो टैक्सपेयर धारा 139(4) के तहत अपडेटिड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं.
- गलत बैंक अकाउंट डिटेल: टैक्सपेयर्स को रिफंड प्रोसेस में देरी से बचने के लिए फाइलिंग प्रोसेस के दौरान सही बैंक अकाउंट नंबर देना चाहिए.
- बैंक अकाउंट वेरिफिकेशन: रिफंड केवल प्री-वेरिफाइड बैंक अकाउंट्स में प्रोसेस्ड किया जाता है.
- प्रोसेसिंग टाइम में देरी: दाखिल किए गए रिटर्न का वॉल्यूम ज्यादा होने के कारण भी प्रोसेसिंग में देरी हो सकती है, और करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने के 30 दिनों के भीतर अपने रिटर्न को ई-वेरिफाई करना होता है.
- फॉर्म 26एएस में गलतियां: यदि इनकम टैक्स रिटर्न में सोर्स पर टैक्स कटौती (टीडीएस) की डिटेल फॉर्म 26एएस में दी गई जानकारी से मेल नहीं खाती है तो इससे रिफंड में देरी हो सकती है.
ऐसे चेक करें आईटीआर रिफंड का स्टेटस
सबसे पहले इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग पोर्टल http://www.incometax.gov.in पर जाएं. वहां पहुंचने पर, अपने पासवर्ड के साथ अपनी यूजर आईडी, जो आमतौर पर आपका पैन है, का उपयोग करके लॉग इन करें. यदि आपने अभी तक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, तो आपको आगे बढ़ने से पहले रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरा करना होगा.
लॉग इन करने के बाद, होमपेज पर ‘माई अकाउंट’ सेक्शन ढूंढें. ड्रॉपडाउन मेनू से, ‘रिफंड/डिमांड स्टेटसस्थिति’ चुनें. यह आपको आपके रिफंड स्टेटस की जांच के लिए संबंधित पेज पर ले जाएगा.
आपको एक ऐसे पेज पर ले जाया जाएगा जो आपके रिफंड के मौजूदा स्टेटस की जानकारी देगा. यहां आपको अपने असेसमेंट ईयर की जानकारी मिलेगी, जिसके लिए आपने अपना रिटर्न दाखिल किया है. उसके बाद रिफंड कैसे जारी किया जाएगा, इसकी भी जानदारी होगी. आपने जो रिफंड रिक्वेस्ट डाला है उसका रेफ्रेंस नंबर मिलेगा. साथ ही ‘रिफंड जारी’ से लेकर ‘रिफंड निर्धारित नहीं’ या ‘रिफंड फेल’ होने तक की जानकारी मिलेगी.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.