मध्य प्रदेश में सूर्य नमस्कार और हिजाब के बाद अब गुरु पूर्णिमा पर बवाल शुरू हो गया है. मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने ये तय किया है कि गुरु पूर्णिमा के दिन स्कूलों में विद्यार्थी सरस्वती वंदन करने के साथ ही गुरुओं का सम्मान करेंगे, लेकिन सरकार के इस फैसले का अब विरोध शुरू हो गया है. मुस्लिम स्कॉलर पीरजदा तौकीर निजामी कह रहे हैं कि सरकार गैर हिंदू बच्चों पर सरस्वती वंदन का दबाव बना रही है. इस्लाम में बुत परस्ती बैन है. तिलक, चंदन, रोली का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है. न ही नारियल और न ही किसी तरह की आरती का इस्लामिक कानून में जिक्र है.
कांग्रेस नेता अब्बास हफीज ने कहा कि उन्हें गुरु-शिष्य परंपरा के तहत होने वाले गुरुओं के सम्मान से कोई परहेज नहीं, लेकिन बीजेपी सरकार कम से कम अपने एजेंडे को स्कूलों में न थोपे. धर्म के नाम पर कोई भी चीज अनिवार्य कैसे की जा सकती है? ये सरासर गलत है.
कांग्रेस पर क्या बोली BJP?
उधर, बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस कब तक तुष्टिकरण की सियासत को हवा देती रहेगी. राम मंदिर से लेकर सनातन धर्म तक, हमेशा ही कांग्रेस विरोध में रही है. सूर्य नमस्कार से लेकर योगा तक का विरोध कांग्रेस ने किया और अब गुरु पूर्णिमा पर हो रहे गुरु के सम्मान से ही उन्हें दिक्कत है.
कांग्रेस खुलकर नहीं कर ही विरोध
कांग्रेस बहुत खुलकर सरकार के इस फैसले का विरोध नहीं कर रही है, क्योंकि कांग्रेस जानती है कि खुलकर बयान देने का नुक्सान कितना बड़ा है या ये कहें कि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस ने तुष्टिकरण की सियासत की वजह से कितना कुछ खोया है
शायद इसलिए कांग्रेस गुरु-शिष्य परंपरा का हवाला तो दे रही है, लेकिन ये भी कह रही है कि अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को इस फैसले के बंधन में नहीं बांधना चाहिए. खैर, बीजेपी ने फिर तुष्टिकरण के जरिए कांग्रेस की घेराबंदी शुरू कर दी है.
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