बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में दौलतपुर क्षेत्र में दीवार गिरने से चार लोग दब गए ,आपको बता दें कि इस हादसे में 6 साल की बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई है। एक महिला और दो बच्चों को गंभीर चोट आई है उनको जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। घटना बुधवार की है प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन बच्चे अपनी दादी के साथ शादी समारोह के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जा रहे थे। धूप तेज होने के कारण तीनों बच्चे दादी के साथ कच्चे मकान के पास बैठ गए तभी अचानक कच्चे मकान की दीवार गिर गई। जिसमें दादी सहित बच्चे दब गए। स्थानीय लोगों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया। मौके पर मौजूद लोगों का कहना था कि धूप तेज होने के कारण महिला बच्चों के साथ छांव में बैठ गई थी और इस समय ही दीवार गिर गई।  दीवार पुरानी थी जो अचानक गिरी है, इस हादसे में एक बच्ची की मौत हो गई है। वृद्ध महिला और दो बच्चे घायल हुए हैं जिनका इलाज चल रहा है। इस हादसे में दादी आरिफा बानो ,हसलीन, एंजेला घायल हुए हैं 6 वर्षीय आफरीन की मौत हो गई है। मौके पर मौजूद लोगों ने घायलों को ऑटो से अस्पताल पहुंचाया है।

 उज्‍जैन। महाकालेश्वर मंदिर पुरोहित समिति अध्यक्ष अशोक शर्मा (63) का गुरुवार को सुबह निधन हो गया। वे गुदरी स्थित घर से महाकाल मंदिर जाने के लिए निकले थे। महाकाल मंदिर पहुंचने पर अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। तत्काल उन्हें पास के अस्पताल ले गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया।

महाकालेश्वर मंदिर पुरोहित समिति अध्यक्ष अशोक शर्मा (63) का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वे गुदरी स्थित घर से महाकाल मंदिर जाने के लिए निकले थे। मंदिर पहुंचने पर अचानक उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। तत्काल उन्हें नजदीक के निजी अस्पताल ले जाया गया, यहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शर्मा ह्रदय रोग से पीड़ित थे। एक वर्ष पहले उनका बायपास आपरेशन भी हुआ था। बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ भी थे।

महाकाल मंदिर पुरोहित समिति के सदस्यों ने बताया कि पंडित अशोक शर्मा बहुत मिलनसार व हंसमुख स्वभाव के व्यक्ति थे। परिवार में पत्नी एक पुत्र तथा एक पुत्री है। मंदिर के विकास और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जुटाए जाने वाले संसाधनों में भी उनका काफी सहयोग रहता था।

हाल ही में उन्होंने अपने एक यजमान के माध्यम से चिंतामण स्थित वैदिक शोध संस्थान परिसर में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर के मंदिर की स्थापना भी कराई थी। पुरोहितों के हितों की रक्षा के लिए भी वे सदैव प्रयासरत रहते थे। पिछले कुछ समय से वे अस्वस्थ थे। बावजूद इसके देव दर्शन व भगवान की पूजा अर्चना के लिए वह नित्य महाकाल मंदिर जाते थे।

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