रुद्राक्ष पहनने से पहले जान लें ये खास नियम, जानें धारण करने की विधि और महत्व

आज के समय में कोई कोई जीवन में हर तरह के कष्टों से छुटकारा पाना चाहता है. ऐसे में अगर आप रुद्राक्ष धारण करने की सोच रहे हैं तो आपके लिए सबसे पहले रुद्राक्ष पहनने के नियम जान लेने चाहिए कि रुद्राक्ष धारण करने से पहले किन नियमों का पालन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार, हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष का काफी महत्व है. ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है. इसी कारण जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है उसे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

पंडित दिलीप द्विवेदी ने टीवी9 हिंदी से बातचीत में बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी. इसी कारण हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष को चमत्कारी और अलौकिक माना जाता है. रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं. जिनके अपने अलग-अलग महत्व है. जो व्यक्ति रुद्राक्ष को नियम और विधि के अनुसार पहन लें तो वह हर तरह के संकटों से छुटकारा पा लेता है और कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी सही हो जाती है.

पौराणिक कथाओं में जिक्र किया गया है कि जब माता सती ने खुद अग्नि में प्रवेश कर देह का त्याग कर दिया था तब भगवान शिव के रुदन से निकले थे और वे आंसू पृथ्वी पर कई जगह गिरे और उनसे प्रकृति को रुद्राक्ष के रूप में एक चमत्कारी तत्व की प्राप्ति हुई थी. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति नियमों के अनुसार विधि-विधान से रुद्राक्ष पहनता है. उसके जीवन से दुख-दर्द धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है.

रुद्राक्ष पहनने के नियम

  • ज्योतिषियों के अनुसार, जब भी कोई रुद्राक्ष धारण करें तो उसे सबसे पहले रुद्राक्ष मंत्र और रुद्राक्ष मूल मंत्र का 9 बार जाप करना चाहिए. इसके अलावा ये ध्यान रखना होगा कि रुद्राक्ष को एक बार निकाल लेने के बाद उसे पवित्र स्थान पर ही रखें.
  • हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष को तुलसी की माला की तरह ही पवित्र माना गया है. इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा का सेवन न करें.
  • रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए. इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष ले जाने से बचना जरूरी है.
  • रुद्राक्ष को बिना स्नान किए नहीं छूना चाहिए. स्नान करने के बाद रुद्राक्ष को शुद्ध करके ही पहनें. इसके इसके साथ ही शिव मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहें.
  • रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना शुभ माना जाता है. कभी भी इसे काले रंग के धागे में नहीं पहनें. इससे लोगों पर अशुभ प्रभाव पड़ता है.
  • रुद्राक्ष की माला को धारण करने के बाद किसी और को बिल्कुल भी न दें. इसके साथ ही दूसरे की दी गई रुद्राक्ष की माला न पहनें.
  • रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखें. मनके के छिद्रों में धूल और गंदगी जम सकती है. जितनी बार हो सके इन्हें साफ करें.
  • अगर रुद्राक्ष का धागा गंदा या खराब हो जाए तो इसे बदल दें. सफाई के बाद रुद्राक्ष को गंगाजल से धो लें. यह इसकी पवित्रता बनाए रखने में मदद करता है.

इस मंत्र का करें जाप

रुद्राक्ष को पहनने से पहले इसे शुद्ध व पवित्र करना बहुत ही आवश्यक होता हैं. सोमवार, महाशिवरात्रि या श्रावण मास के किसी भी दिन रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है. सबसे एक चांदी या तांबे की कटोरी में दूध, दही, शहद, घी, एवं शक्कर लेकर के मिला लें. इस मिश्रण में रुद्राक्ष को स्नान कराएं. स्नान के बाद शुद्ध जल व गंगाजल से पूनः स्नान कराकर पूजा स्थल पर लाल वस्त्र पर रख दें, एक गाय के घी का दीपक जलाकर इस मंत्र का 501 या 1100 बार जप करें.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.