शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया, जानें सूतक काल से लेकर लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण जानकारी

शरद पूर्णिमा पर इस बार चंद्रग्रहण के साथ पांच योग का संयाेग बन रहा है। शरद पूर्णिमा पर सौभाग्य योग, सिद्धि योग, बुधादित्य योग, गजकेसरी योग और शश योग का निर्माण हो रहा है। यह पांचाें योग शुभ फलदायी है। ग्रहण के नौ घंटे पहले से सूतक लगने से मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। चूंकि ग्रहण का मोक्ष देर रात्रि में होगा इसलिए अगले दिन ही मंदिर खुलेगा। शरद पूर्णिमा पर चांद की रोशनी में खीर रखकर माता लक्ष्मी को भोग लगाने की परंपरा होने से इस साल ग्रहण समाप्त होने के बाद देर रात खीर का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा।

महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला के अनुसार साल 2023 का अंतिम चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर को पड़ रहा है। आश्विन पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा की रात चंद्रग्रहण 1.44 बजे से प्रारंभ होकर 2.24 बजे मोक्ष होगा। इससे नौ घंटे पहले शाम 4.44 बजे से सूतक लगेगा। सूतक लगते ही मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे। ग्रहण काल के पश्चात अगले दिन सुबह मंदिर की साफ-सफाई करके पट खोला जाएगा। देव प्रतिमाओं का स्नान, अभिषेक करके श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ मंदिर खोला जाएगा।

माता लक्ष्मी निकलती हैं पृथ्वी लोक का भ्रमण करने

ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार पुराणों में उल्लेखित है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक का भ्रमण करने निकलती हैं। माता लक्ष्मी को अपने घर पर आमंत्रित करने के लिए श्रद्धालु शरद पूर्णिमा की रात जागकर भजन पूजन करते हैं। माता को भोग के रूप में सफेद मिठाई अर्पित की जाती है।

चंद्रमा की किरणों से बरसेगा अमृत

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है। चंद्रमा से अमृत रूपी किरण बरसने की मान्यता होने से खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। जब चंद्रमा की किरणें खीर में समाहित हो जाती हैं, इसके पश्चात उस खीर का सेवन किया जाता है। खीर के साथ आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करने से बीमारी में लाभ होता है।

श्रीकृष्ण ने रचाई थी महारासलीला

श्रीमद्भागवत कथा प्रसंग में उल्लेखित है कि श्रीकृष्ण ने गोपियों का अहंकार तोड़ने के लिए शरद पूर्णिमा की रात महारासलीला रचाई थी। शरद पूर्णिमा पर सुबह स्नान करके लक्ष्मीजी का व्रत रखने की मान्यता है।

दोपहर को अथवा आधी रात बाद पूजन

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 2.52 बजे से लगेगा। सूतक लगने के कारण मंदिर के पट बंद रहेंगे। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन और चंद्रमा का पूजन पूजा आधी रात बाद जब ग्रहण समाप्त हो जाए तब करना उचित है।

पूर्णिमा तिथि

शाम 4.17 बजे से 1.53 बजे तक

चंद्रोदय – शाम 5.20 बजे चंद्रोदय

चंद्र ग्रहण – रात्रि 1.06 से 2.22 तक

सूतक काल – दोपहर 2.52 से

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