इंदौर। अगले कुछ महीनों में प्रदेश स्तर पर होने वाली ओलम्पियाड परीक्षा है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों की क्षमता का आकलन होता है। साथ ही उन्हें प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जाता है। इसी उद्देश्य से राज्य शिक्षा केंद्र ने स्कूलों से विद्यार्थियों की जानकारी मांगी थी, जिसमें अधिकांश जिले पिछड़ गए हैं। इंदौर जिले में भी 40 स्कूलों ने विद्यार्थियों के नाम नहीं भेजे हैं। लगभग दो हजार छात्र-छात्राएं ओलम्पियाड से वंचित हो गए हैं।
मामले में केंद्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने जिला परियोजना समन्वयकों को फटकार लगाई है। विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए अतिरिक्त समय दिया है। अभी ओलम्पियाड की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन अक्टूबर-नवंबर के बीच हो सकती है।
विद्यार्थियों की परखी जाती है क्षमता
ओलम्पियाड परीक्षा के माध्यम से कुछ विषयों में विद्यार्थियों की क्षमता परखी जाती है, जिसमें साइंस, मैथ्स, कंप्यूटर, इंग्लिश के ओलम्पियाड मुख्य विषय है। इसके अलावा हिंदी, फ्रेंच, जनरल नालेज का ज्ञान भी देखा जाता है। इसके लिए राज्य शिक्षा केन्द्र ने सत्र 2023-24 के ओलम्पियाड के लिए कम विद्यार्थियों के पंजीयन पर चिंता जताई है। इसे लेकर जिला परियोजना समन्वयक (जिला शिक्षा केन्द्र) से रिपोर्ट मांगी है।
15 जिलों की स्थिति ठीक नहीं
केंद्र ने प्रत्येक जिले से 95 प्रतिशत छात्र-छात्राओं के नाम मांगे हैं। करीब 15 से अधिक जिलों की स्थिति ठीक नहीं है। इनमें इंदौर, खरगोन, रायसेन, बैतूल, सागर, टीकमगढ़, हरदा, पन्ना, मंडला, सिंगरौली, कटनी, दतिया, श्योपुर, मंदसौर, सीधी व विदिशा शामिल हैं। वैसे प्रदेश में रायसेन सबसे पीछे है। वहां से 75.25 प्रतिशत विद्यार्थियों के नाम आए है।
इंदौर का पंजीयन 87 प्रतिशत तक
केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक, इंदौर जिले में 1074 स्कूल में से 15214 विद्यार्थियों को हिस्सा लेना है, मगर पंजीयन 13345 छात्र-छात्राओं का हुआ है। अभी दो हजार विद्यार्थियों का पंजीयन बाकी है। इंदौर का 87 प्रतिशत तक आंकड़ा पहुंच गया है। अधिकारियों के मुताबिक, मंगलवार को जिला परियोजना समन्वयक की आनलाइन समीक्षा बैठक होगी।
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