भोपाल (राज्य ब्यूरो)। मध्य प्रदेश के तीन मेडिकल कालेजों में कैंसर की सिकाई के लिए पीपीपी से अत्याधुनिक सुविधा वाली लिनियर एक्सीलरेटर (लीनैक) मशीन लगाने की प्रक्रिया फिर लटक गई है। निविदा प्रक्रिया में शामिल हुई दोनों कंपनियाें द्वारा दिए गए प्रस्ताव तय मापदंड के अनुरूप नहीं होने के कारण खारिज कर दिया गया है।
सरकार खुद मशीनें लगाने की तैयारी कर रही
अब नए सिरे से फिर निविदा करने की जगह सरकार खुद मशीनें लगाने की तैयारी कर रही है। बता दें कि रीवा,भोपाल और सागर मेडिकल कालेज में पीपीपी से मशीन लगाने की तैयारी तीन वर्ष से चल रही है।
14 सरकारी मेडिकल कालेजों में होगी सुविधा
इसके अलावा जबलपुर और ग्वालियर में बनाए जा रहे सरकारी कैंसर अस्पताल में सरकार खुद अपने स्तर पर मशीन लगाने का निर्णय ले चुकी है। इस तरह प्रदेश के 14 सरकारी मेडिकल कालेजों में पांच में यह सुविधा हो जाएगी।
किसी भी सरकारी अस्पताल में अभी यह सुविधा नहीं
प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में अभी यह सुविधा नहीं है। कैंसर रोगियों को सेकाई (रेडियोथेरेपी) के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है।
कैंसर की सिकाई के लिए अत्याधुनिक सुविधा
सभी तरह के कैंसर की सिकाई के लिए यह अत्याधुनिक सुविधा है। इसमें कैंसर की कोशिकाओं के अलावा दूसरी कोशिकाओं को नुकसान नहीं के बराबर होता है। कैंसर कोशिकाओं पर इसका असर अन्य मशीनों से रेडियोथेरेपी की तुलना में अधिक रहता है।
निजी अस्पतालों में 60 हजार रुपए तक खर्च होते हैं
गांधी मेडिकल कालेज के रेडियोथेरेपी विभाग के एक प्राध्यापक ने बताया कि लिनियर एक्सीलरेटर से निजी अस्पतालों में सेकाई कराने पर कम से कम 50 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक खर्च होते हैं। यह सुविधा शुरू होने से आयुष्मान भारत योजना के मरीजों को भी फायदा मिलेगा।
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