हिन्दू धर्म में माला का काफी महत्व होता है। फूलों की माला भगवान को चढ़ाई जाती है, तो धातुओं या मनकों की माला को धारण किया जाता है। विभिन्न मालाओं का अलग-अलग देवताओं से संबंध होता है। जैसे- शिव के साधक रुद्राक्ष की माला धारण करते हैं, तो विष्णु के उपासक तुलसी की माला। इनका पूजा पाठ और जप-तप में भी इस्तेमाल होता है। शास्त्रों में माला को लेकर भी कई नियम बताये गये हैं। उनका पालन नहीं करने पर पूजा का फल नहीं मिलता है। वहीं गलत ढंग से धारण करने पर नुकसान भी हो सकता है। साथ ही कभी भी गले में पहनी हुई माला से किसी भी देवी-देवता के मंत्र का जप नहीं करना चाहिए। आइये जानते हैं माला के क्या हैं नियम और इन्हें कब-किसे धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रसाद माना गया है। इसलिए साधु-संत इसे अवश्य धारण करते हैं। लेकिन रुद्राक्ष को विशेष प्रयोजन में भी धारण करना चाहिए। साथ ज्योतिष के अनुसार उचित मुखी रुद्राक्ष ही धारण करना चाहिए। वरना सेहत से लेकर आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। साथ ही इसकी पवित्रता का पूरा ख्याल रखना चाहिए।
तुलसी
तुलसी की माला को जप में इस्तेमाल किया जाता है। इसे गले या कलाई पर धारण कर सकते हैं। माना जाता है कि इससे भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। लेकिन इस माला को धारण करने पर तामसिक चीजों जैसे मांस, मछली, शराब आदि से दूरी रखनी होती है। ऐसा नहीं करने पर फायदे के बजाए नुकसान हो सकता है और आपकी सुख-शांति खत्म हो सकती है।
चंदन
हिंदू मान्यता के अनुसार चंदन की माला, अलग-अलग साधना के लिए प्रयोग में लाई जाती है। जैसे सफेद चंदन और पीले चंदन की माला भगवान विष्णु की पूजा के लिए तो वहीं लाल चंदन की माला देवी पूजा के लिए प्रयोग में लाई जाती है। अगर आप देवी के भक्त हैं तो लाल चंदन की माला धारण करें। इससे राहु-केतु के दोष दूर होंगे।
मोती
मोती की माला को सुंदरता का पर्याय माना जाता है। इसे गहने के तौर पर भी पहना जाता है। लेकिन अगर आप नियमित तौर पर मोती की माला धारण करना चाहते हैं, तो पहले कुंडली में चंद्रमा की स्थिति जरुर देख लें। मोती को चंद्रमा का रत्न माना गया है। अगर चंद्रमा शुभ ना हो, तो मोती धारण करने से मानसिक अशांति बढ़ सकती है और भावनात्मक परेशानी हो सकती है।
स्फटिक
सनातन परंपरा में स्फटिक को भी बहुत शुभ माना गया है। स्फटिक की माला को धारण करने से शुक्र ग्रह से जुड़ी शुभता प्राप्त होती है। ज्योतिष के अनुसार शुक्र से संबंधित दोष दूर करने के लिए यह माला पहनी जाती है। लेकिन अगर शुक्र अशुभ स्थितियों में हो तो इसे धारण करने से परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए किसी ज्योतिषी के विचार-विमर्श के बाद ही इसे धारण करें।
डिसक्लेमर
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