अमरगढ़ झरने पर दोस्तों संग पिकनिक मनाने पहुंचा भोपाल का युवक डूबा बारिश से रेस्क्यू में आ रही परेशानी
भोपाल/सीहोर। दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने अमरगढ़ झरने पर पहुंचा भोपाल निवासी एक युवक नहाते समय झरने के तेज बहाव में बह गया। जब युवक झरने से बाहर नहीं आया तो साथियों ने पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और युवक की तलाश शुरू कर दी।
जानकारी के अनुसार भोपाल से आकाश जायसवाल, अंकित जायसवाल, हर्ष राय, आदित्य भदौरिया, सीमा सुमन, डोमनिक टोपो कार से पिकनिक मनाने के लिए अमरगढ़ झरने पर आए थे। तभी नहाते वक्त आकाश जायसवाल पिता दिगम्बर जायसवाल उम्र 28 वर्ष निवासी मिनाल रेसीडेंसी भोपाल झरने के तेज बहाव में आ गया और डूब गया। इसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची और युवक को खोजना शुरू कर दिया, लेकिन क्षेत्र में लगातार वर्षा का दौर जारी है। बताया जा रहा है अमरगढ़ के जंगल में रुक-रुककर वर्षा हो रही है, जिससे प्रशासन की टीम को रेस्क्यू में परेशानी आ रही है।
मामले को लेकर शाहगंज थाना टीआइ पंकज वाडेकर ने बताया कि युवक के डूबने की सूचना मिली थी। पुलिस और रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची, रेस्क्यू किया जा रहा है, लेकिन झरने का बहाव तेज होने से रेस्क्यू में परेशानी आ रही है। युवक के भाई की शिकायत पर गुमशुदगी दर्ज की गई है।
पर्यटक स्थलों पर पहले भी हादसे में जा चुकी है कई जानें
अमरगढ़ के साथ ही इछावर ब्लाक के तहत आने वाली अलीपुर पंचायत में लगने वाला कालियादेव जलप्रपात जिले का एक बड़ा व महत्वपूर्ण जलप्रपात है, जहां हर वर्ष बड़ी संख्या में सैलानी जलप्रपात का लुफ्त उठाने आते हैं। इस दौरान यहां दुर्घटनाएं भी घटित होती हैं, जिसमें लोगों को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ता है। विगत वर्षों में इसी प्रकार के कई हादसे देखने को मिले हैं, जिसमें दुर्घटनाग्रस्त लोगों को नहीं बचाया जा सका है।
केस-1
साल 2020 में कालियादेव पर्यटक स्थल पर सीहोर से पार्टी करने आए चार दोस्तों के समूह में एक नवीन नाम का बालक सुरक्षा इंतजाम के अभाव में जलप्रपात में जा गिरा था। रेस्क्यू आपरेशन तीन दिनों तक चला था, लेकिन उसके बाद भी नवीन को नहीं बचाया जा सका था।
केस- 2
साल 2021 में इछावर निवासी रुबीना रीना भी अपने परिवार के साथ कालिया देव पर्यटक स्थल पर पार्टी करने गई थी, जहां उसका पैर फिसल गया था। जिससे वह भी बालवाले झरने की खो में जा गिरी थी। उसका रेस्क्यू आपरेशन भी दो दिन से ज्यादा चला था, उसके बाद भी उसे नहीं बचाया जा सका था।
हादसों के बाद दिए जाते हैं निर्देश
हर वर्ष इन पर्यटक स्थलों पर दुर्घटनाएं घटित होती हैं, जिसके बाद प्रशासन अपनी आंख खोलता है और कागजों में जिम्मेदारों को सुरक्षा इंतजाम पुख्ता करने के लिए लिखित आदेश थमाए जाते हैं, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही और शिथिलता के चलते यह आदेश सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह जाते हैं और जमीन पर वास्तविक स्थिति ज्यों की त्यों ही बनी रहती है। यही क्रम विगत कई वर्षों से चलता आ रहा है। इन पर्यटक स्थलों पर यदि पहले ही सुरक्षा व्यवस्था कर ली जाए तो हादसों को रोका जा सकता है।
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