रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो ध्यान रखें ये बातें वरना महादेव हो जाएंगे क्रोधित

सावन के महीने में लोग भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय चीजें उन्हें अर्पित करते हैं। इस पवित्र माह में शिवजी की पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होती है। वहीं सावन के महीने में कई तरह के उपाय किए जाते हैं, जिनमें से एक उपाय रुद्राक्ष धारण करना भी है। सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने का बहुत महत्व रहता है। अक्सर लोग रुद्राक्ष धारण तो कर लेते हैं, लेकिन उससे जुड़े नियमों से अनजान होने के कारण वे कई गलतियां कर जाते हैं। जिससे भगवान शिव नाराज हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि रुद्राक्ष से जुड़े नियम कौन से हैं।

रुद्राक्ष धारण करने के नियम

– रुद्राक्ष की माला धारण करने के लिए सोमवार या सावन शिवरात्रि को सबसे अच्छा माना गया है। रुद्राक्ष की माला में कम से कम 27 मनके होने चाहिए। इसे धारण करने के लिए पहले लाल कपड़े पर रुद्राक्ष को रखकर मंदिर में रख दें और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।

– रुद्राक्ष की माला को सबसे पहले गंगाजल से पवित्र कर लें और डुबोकर रख दें। किसी संकल्प से इसे धारण कर रहे हैं तो पहले हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लें। फिर गंगाजल से इसे धोकर धारण कर लें।

– रुद्राक्ष को हमेशा स्नान करने के बाद ही धारण करना चाहिए। साथ ही सोने से पहले इसे पवित्र स्थान पर उतार कर रख देना चाहिए।

– रुद्राक्ष की माला धारण करने के लिए हमेशा पीले या लाल धागे का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

इस तरह बना रुद्राक्ष

शास्त्रों में रुद्राक्ष को काफी पूजनीय माना जाता है। मान्यता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से बना है। इसे चमत्कारिक और अलौकिक माना जाता है। कहा जाता है कि सालों तपस्या करने के बाद जब शिवजी ने अपनी आंखें खोली तो उनकी आंखों से गिरे आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई। कहा जाता है कि सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष को नियम अनुसार धारण करता है, उसे जीवन की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही अकाल मृत्यु का डर भी नहीं रहता है।

डिसक्लेमर

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