पटवारी परीक्षा में गड़बड़ी तेज हुआ कांग्रेस और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप

भोपाल। पटवारी चयन परीक्षा में गड़बड़ी पर कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर युवाओं के भविष्य से खेलने का आरोप लगाया, साथ ही आरोपों को तथ्यों के साथ सिद्ध करने की चुनौती दी। वहीं, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने पलटवार किया कि कांग्रेस को दोष देने की जगह सरकार पटवारी परीक्षा घोटाले की निष्पक्ष जांच कराए। पूरी परीक्षा निरस्त करें और अभ्यर्थियों से लिया शुल्क लौटाएं।

डा. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस जनाधार खो चुकी है। दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेस नेता चर्चा में बने रहने के लिए डर्टी पालिटिक्स का सहारा ले रहे हैं। जिस केंद्र पर एक हजार बच्चों के चयन की बात की जा रही है, वहां केवल 114 अभ्यर्थी ही चयनित हुए हैं। किसी छात्र को 25 में से 25 नंबर नहीं मिले हैं। प्रावीण्य सूची में आए अभ्यर्थियों को 13 से 22 के बीच अंक मिले हैं।

कांग्रेस नेता अशोकनगर के एक कोचिंग संचालक के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे हैं। अगर उसकी काल डिटेल निकाली जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि उसने कितनी बार दिग्विजय सिंह से बात की है। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं को चुनौती देते हुए कि अगर कोई तथ्य है तो सामने आएं और मंच लगाएं। हर सवाल का जवाब दूंगा।

उधर, परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों ने शुक्रवार को सुबह गृहमंत्री से भेंट कर कहा कि कांग्रेस अपने दुष्प्रचार से हमारा मनोबल तोड रही है। उनसे डा. मिश्रा ने कहा कि इनकी राजनीति का शिकार न हों। उधर, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने पत्रकारवार्ता में आरोप लगाया कि नौजवानों के साथ हुए इस घोटाले से ध्यान मोड़ने के लिए भाजपा सरकार के मंत्री कांग्रेस और कोचिंग संचालकों के नाम पर सियासत कर रहे हैं।

प्रदेश में कृषि विस्तार अधिकारी, एनएचएम नर्स-सुपरवाइजर, शहडोल विश्वविद्यालय भर्ती, विक्रम विश्वविद्यालय पीएचडी, शिक्षक चयन परीक्षा, पुलिस आरक्षक परीक्षा, जेल प्रहरी, फारेस्ट गार्ड, आंगनवाड़ी सुपरवाइजर, विधानसभा, शासकीय कालेजों में संविदा शिक्षक के चयन से लेकर अन्य परीक्षाओं में गड़बड़ी की बात सामने आ चुकी है। व्यापम घोटाले को भी लोग अभी नहीं भूले हैं।

मुख्यमंत्री ने पटवारी परीक्षा में गड़बड़ी की बात स्वीकारी, उसके लिए धन्यवाद, पर एक सेंटर ही क्यों पूरी परीक्षा की जांच होनी चाहिए। राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने शिवराज सरकार पर प्रदेश को 18 वर्षों में घोटालों का प्रदेश बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि व्यवस्था पूरी तरह से भ्रष्ट और अन्यायपूर्ण हो गई है।

अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग को कभी इतना विचलित नहीं देखा। समय आ गया है प्रदेश में घोटालों और भ्रष्ट व्यवस्था के विरुद्ध एक मजबूत आंदोलन करने और भ्रष्ट नेताओं को घर बैठाने का। यह मध्य प्रदेश के कैंसर हैं और यदि समय रहते सर्जरी नहीं की तो प्रदेश भी असफल राज्यों की गिनती में जुड़ जाएगा।

पटवारी भर्ती में पहले भी सामने आई थी गड़बड़ी

पटवारी भर्ती को लेकर पहले भी प्रदेश में गड़बड़ी सामने आ चुकी है। श्योपुर में 24 दिसंबर 2006 को पटवारी चयन परीक्षा हुई थी। इसमें 227 के प्राप्तांकों में काट-छांट कर 77 अभ्यर्थियों को चयनित करवाया गया था। तत्कालीन चंबल कमिश्नर शिवानंद दुबे से सरकार ने जांच कराई थी। तत्कालीन राजस्व मंत्री कमल पटेल ने तत्कालीन कलेक्टर आरएस भिलाला सहित अन्य के विरुद्ध कार्रवाई करने की अनुशंसा भी की थी, पर मामला लंबे समय तक लंबित ही रहा।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.