सावन के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन सावन प्रथम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर भगवान शिव की आराधना का काफी महत्व होता है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस बार श्रावण कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई से शुरू होगी और 15 जुलाई को इसका समापन होगा। 14 जुलाई को शाम 07:08 मिनट से प्रारंभ होकर 15 जुलाई को रात 08:33 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। प्रदोष काल 15 जुलाई 2023, शनिवार को मान्य होने के कारण सावन का प्रथम प्रदोष व्रत इसी दिन रखा जाएगा।
शिवरात्रि पर्व
हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की चतुर्दशी तिथि 15 जुलाई की रात शुरू होकर अगले दिन 16 जुलाई की रात समाप्त होगी। जिसके कारण मासिक शिवरात्रि के दिन वृद्धि और ध्रुव योग बन रहे हैं। इस दिन मृगशिरा नक्षत्र भी रहेगा। इस तरह इन शुभ योगों में मासिक शिवरात्रि की पूजा काफी लाभ देने वाली है।
करें ये उपाय
– शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा अक्षत, चंदन, बेलपत्र, दूध और गंगाजल से करें। इससे महादेव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जातक की मनोकामना पूरी होती है।
– शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ शनिदेव की उपासना का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक के साथ शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें, इससे शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
– सावन के प्रथम प्रदोष व्रत के दिन शिव रक्षा स्त्रोत का पाठ जरूर करें। ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।
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