इटारसी। 26 जून को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया डबरादेव में मिले मृत बाघ के मामले का पर्दाफाश हो गया है। 18 दिन में एसटीआर ने पूरे मामले की जानकारी देकर 2 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। मामले का तीसरा आरोपित 2 जुलाई को एसटीआर की पूछताछ से घबराकर खुदकुशी कर चुका है।
अफसरों ने दावा किया है कि बाघ का शिकार नहीं हुआ था, वह युवकों को जंगल में नाले के पास मरा मिला था। कोर एरिया से लगे बैतूल जिले के धांसई गांव के युवक जंगल में गुल्ली बीनने गए थे। बाघ को मृत देखकर युवकों को उसके बेशकीमती अंगों जैसे दांत, मूंछ और सिर का लालच आ गया, इसीलिए तीनों युवकों ने उसकी गर्दन काट ली थी।
ऐसे चला घटनाक्रम
उपसंचालक एसटीआर संदीप फैलोज ने बताया कि ग्राम धांसई के कमल कुमरे और सुबन सिंह भल्लावी से पूछताछ करने पर दोनों ने बाघ की गर्दन काटने की बात कुबूल की। कमल ने बताया कि उन्होंने जंगल में मृत पड़े बाघ की गर्दन को कुल्हाड़ी से काट दी, फिर उसके दोनों दांत निकाल लिए। टीम ने बाघ के दांत और कुल्हाड़ी को जब्त कर आरोपितों को न्यायालय में पेश किया।
25-26 जून की सुबह गश्त पर गए एसटीआर के श्रमिकों को नाले के पास नर बाघ का शव क्षत-विक्षत हालत में मिला था। यह शव करीब 6 दिन पुराना था। बाघ की गर्दन शव से गायब थी, बाकी पूरा शरीर पानी में गल चुका था।
एसटीआर की घेराबंदी से डरे युवक
एसटीआर का कोर एरिया डबरादेव धांसई गांव से लगा हुआ है। इस गांव के आदिवासी युवक जंगल में आते-जाते हैं। बाघ शिकार का मामला जब राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया, इसके बाद केन्द्रीय बाघ प्राधिकरण, वाइल्डलाइफ क्राइम ब्यूरो और वन मंत्रालय ने एसटीआर अफसरों पर मामले जांच के निर्देश दिए।
देश के 13 टाइगर रिजर्व में अलर्ट जारी कर दिया। उसके बाद संदेह के आधार पर करीब 50 कर्मचारियों और अधिकारियों ने धांसई और एसटीआर से लगे गांवों में घेराबंदी कर घर-घर तलाशी ली। मुखबिर की सूचना पर संदेह के आधार पर निजी जिप्सी चलाने वाले अनीस उइके समेत गांव के चार युवकों को हिरासत में लिया।
उनसे पूछताछ के बाद सभी को छोड़ा दिया। अनीस ने पकड़े जाने के डर से घर लौटने के दूसरे दिन जंगल में पेड़ से लटककर फांसी लगा ली। अनीस की खुदकुशी के बाद टीम ने कमल और सुबन से पूछताछ की और बाघ की मौत के मामले का राजफाश कर दिया।
तंत्र-मंत्र के चक्कर में किया जुर्म
युवकों ने बताया कि आदिवासी अंचलों में बाघ के दांत और सिर से तंत्र-मंत्र करने का अंधविश्वास है। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों से नोटों की वर्षा, ताकत दोगुनी करने जैसे उपाय किए जाते हैं, इसी लालच में वे बाघ की गर्दन काटने का षडयंत्र कर बैठे। इस चक्कर में एक आरोपित को मौत को गले लगाना पड़ गया।
अनीस को डर था कि एसटीआर जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लेगी। उसके खिलाफ सुबूत मिलने की पुष्टि हो चुकी है। वह बेहद डर गया था।
जंगल में फेंक गया सिर
अनीस की मौत के बाद 6 जुलाई को डर के कारण सुबन और कमल ने छिपाकर रखा बाघ का सिर जंगल में फेंक दिया था। गश्ती दल को क्षत-विक्षत सिर लावारिस हालत में मिला था, इसे भी जांच के लिए जबलपुर भेजा है। बाघ की मौत को लेकर बिसरा भी भेजा है, जहां से अभी रिपोर्ट आना बाकी है।
इनकी रही सक्रिय भूमिका
बाघ शिकार के प्रकरण में क्षेत्रसचालक एल. कृष्णमूर्ति के निर्देशन में गठित टीम में उपसंचालक संदीप फैलोज , सहायक संचालक राजीव श्रीवास्तव, परिक्षेत्र अधिकारी तवा निशांत डोसी, परिक्षेत्र अधिकारी चूरना, उपवनक्षेत्रपाल राजेन्द्र मिश्रा ,वनरक्षक निशांत, प्रशांत सिंह, नारायण लोधी, दिव्या किसपोट्टा, गंगा ठाकुर, नेहा चौधरी, सुरक्षा श्रमिक दयानंद यादव और एसटीएफ टीम की सक्रिय भूमिका रही।
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