इंदौर। छह बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का सम्मान प्राप्त करने वाला इंदौर अब सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक के लिए बीते पांच वर्षों से प्रयास कर रहा है। इन प्रयासों में नवाचार तो ऐसे हैं, जो अन्य किसी शहर में नहीं हो रहे। जैसे, इंदौर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए यहां पेपर बैग और कपड़े के झोले बांटे जा रहे हैं। जगह-जगह झोला एटीएम लगाए गए हैं। शहर की इस मुहिम में सामाजिक संस्थाएं भी लोगों को पेपर बैग के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए प्रेरित कर रही हैं।
शहर में अब शापिंग माल, किराना दुकानों, मेडिकल स्टोर जैसे तमाम संस्थानों पर प्लास्टिक बैग की जगह पेपर बैग का प्रयोग होने लगा है। इससे शहर में खामोशी से एक बड़ा बदलाव हो रहा है। इन संस्थाओं ने न सिर्फ शहर को प्लास्टिक मुक्त करने का प्रयास किया है बल्कि इससे सैकड़ों महिलाओं को रोजगार भी प्रदान किया गया है। इसकी मदद से महिलाओं को घर बैठे आत्मनिर्भर बनने में मदद मिली है। शहर में ऐसी कई महिलाएं और बच्चियां हैं, जो इस कार्य से सम्मानजनक आय अर्जित कर रही हैं।
दिल्ली तक पेपर बैग की सप्लाई
ज्वाला महिला समिति की प्रबंधन अधिकारी अपेक्षा पांडे ने बताया कि उनकी संस्था पिछले 10 वर्षों से पेपर बैग बनाने का काम कर रही है। महज तीन से चार महिलाओं के साथ शुरू किया गया कारवां आज 600 महिलाओं तक पहुंच गया है। इन महिलाओं के सहयोग से प्रतिदिन एक लाख तक बैग तैयार किए जा रहे हैं। संस्था द्वारा न सिर्फ इंदौर बल्कि रतलाम, खंडवा, उज्जैन समेत आसपास के जिलों में पेपर बैग सप्लाई किए जा रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में भी पेपर बैग की डिमांड बढ़ रही है और इस संस्था द्वारा वहां भी अपने पेपर बैग भेजे जा रहे हैं।
इसके अलावा संस्था इस कार्य से मिलने वाले लाभ को गरीब बच्चों की पढ़ाई पर भी खर्च करती है। यहां हर महिला को प्रति बैग बनाने के लिए दो रुपये दिए जाते हैं। ऐसे में प्रत्येक महिला सात से 15 हजार रुपये प्रतिमाह तक कमाई कर लेती करती है। पेपर बैग उन तमाम गरीब महिलाओं के लिए रोजगार का जरिया बन गया है, जिन्हें पैसों की तंगी की मार झेलनी पड़ती थी।
पेपर बैग से रोजगार और पर्यावरण को लाभ
बीते पांच वर्षों से पेपर बैग बनाने का काम संस्था आपकी मुस्कान जनजागृति समिति भी कर रही है। संस्था सचिव शालिनी रामानी बताती हैं, हमारी संस्था की शुरुआत 2018 में कुछ महिलाओं के साथ हुई थी, लेकिन अब 50 से अधिक महिलाएं संस्था से जुड़ी हैं। महिलाओं को रोजगार देने और पर्यावरण को बचाने के उद्देश्य से यह कार्य शुरू किया गया था। इसका असर भी काफी देखने को मिला। पेपर बैग बनाने से लेकर सप्लाई तक पूरी चैन बनी हुई है।
इसके लिए सभी महिलाएं प्रतिदिन दो से तीन घंटे अपने घरों में ही 15 से 20 हजार पेपरबैग तैयार करती हैं। इसके बाद स्वयं सहायता समूह की 10 महिलाएं सभी के घरों में जाकर पेपर बैग एकत्रित करके मार्केट में सप्लाई करती हैं। इससे मिलने वाली राशि हर सप्ताह महिलाओं तक पहुंचा दी जाती है।
पढ़ाई के लिए पेपर बैग का सहारा
बीटेक की छात्रा नैंसी साहू अपनी मां के साथ पेपर बैग बनाने का काम करती हैं। इस कार्य की मदद से वह अपनी और दो छोटी बहनों की पढ़ाई का खर्च निकालती हैं। नैंसी बताती हैं कि वे पिछले पांच सालों से यह काम कर रही हैं। पापा के न होने से मां को अकेले घर चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। इस कारण मैंने भी बैग बनाना शुरू कर दिया। अब हर महीने सात से आठ हजार रुपये पेपर बैग बनाकर कमा लेती हूं। इससे घर के आर्थिक संचालन में मां की मदद हो जाती है।
नन्हा-सा पेपर बैग करता है कमाल
पेपर बैग के बहुत फायदे हैं, जो पर्यावरण के लिए बहुत लाभदायक हैं। जैसे पेपर बैग 100 फीसदी री-साइकिल किए जा सकते हैं और सिर्फ एक महीने के भीतर विघटित हो सकते हैं। एक पेपर बैग में लगभग 10 से 14 सामान तक रखे जा सकते हैं। प्लास्टिक बैग के मुकाबले पेपर बैग को तैयार करना आसान है। इन्हें बनाने के लिए मोटा खर्च करके इंडस्ट्री शुरू करने या मशीन खरीदने की जरूरत नहीं होती बल्कि इन्हें महिलाएं अपने घरों में ही बना सकती हैं।
पेपर बैग जानवरों के लिए भी सुरक्षित हैं क्योंकि कागज गल जाता है, जबकि प्लास्टिक की पन्नियां मवेशियों द्वारा खा लेने से उनकी मौत तक हो जाती है। पेपर बैग का इस्तेमाल खाद बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
उपहार की पैकिंग भी पेपर बैग से
पेपर बैग से अब सिर्फ लिफाफे ही नहीं तैयार किए जा रहे बल्कि गिफ्ट की पैकिंग भी हो रही है। इसे लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं। कई डिजाइन में पेपर बैग बनाए जा रहे हैं, जिनका लोग शादी-पार्टी में गिफ्ट देने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही सामानों की पैकिंग के लिए भी पेपर बैग का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा कई डिजाइनों में गिफ्ट बाक्स को रखने के लिए पेपर बैग बनाए जा रहे हैं।
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