ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय में बीएड की संबद्धता प्रक्रिया बीते शुक्रवार को पूरी हो गई है ,यानी जीवाजी विश्वविद्यालय से संबद्ध बीएड कॉलेजों को संबद्धता दे दी गई है। लेकिन इस संबद्धता के बीच हुए सवा करोड़ के घोटाले की जांच अब पूरी तरह से ठंडे बस्ते में है। ना तो जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति इस पर जांच करा रहे हैं और ना ही निष्पक्ष जांच का दावा करने वाले कार्य परिषद सदस्य कोई ठोस कदम उठा रहे हैं। उल्लेखनीय है इस मामले में जीवाजी विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य का एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी से संबद्धता देने के एवज में लाखों रुपए की डील करने की बात करता सुनाई दे रहा था ।
जांच अधिकारी ने भी नाम वापस लिया
इस मामले की जांच के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी ने सेवानिवृत्त जज एमके मुद्गल को जांच अधिकारी नियुक्त किया था | लेकिन वह जीवाजी विश्वविद्यालय के वर्तमान छात्र हैं इस कारण उनका विरोध हुआ और विरोध के चलते उन्होंने अपना नाम जांच अधिकारी से वापस ले लिया|
इसी मेंबर के दावे भी झूठे
जब यह मामला उजागर हुआ था तब कार्यपरिषद सदस्यों ने अपने अपने स्तर पर बड़े-बड़े दावे किए थे। किसी ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की किसी ने भोपाल पत्र लिखें, तो कोई खुद ही भोपाल जाकर मामले की शिकायत करने की बात करता नजर आया। लेकिन जब यह सब धरातल पर करने की बात आई तो इन सभी कार्य परिषद सदस्यों के दावे झूठे साबित हुए ।
इनका कहना है:
जिन्हें जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त किया था उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया है। अब जल्द ही दूसरा जांच अधिकारी नियुक्त कर देंगे।
-विमलेंद्र सिंह , पीआरओ, जेयू
राजभवन को इस पूरे मामले के बारे में 2 दिन के भीतर पत्र भेजकर अवगत करवा दिया जाएगा। आगामी सप्ताह में प्रयास करेंगे कि मिलकर इस मामले के बारे में यथास्थिति सूचित करवा दें ।
-डा विवेक भदौरिया, कार्यपरिषद सदस्य , जेयू
जेयू के कुलपति इस मामले की जांच से बचना चाह रहे हैं इसलिये यहां जांच कमेटी का गठन नहीं हो पा रहा है। हम पत्राचार कर राजभवन और राज्य शासन से जांच कमेटी बनाने का अनुरोध करेंगे।
-शिवेंद्र राठौड, कार्यपरिषद सदस्य, जेयू
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