हिन्दू धर्म में सावन के महीने को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस दौरान रोजाना भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है और हर सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। जो लोग पूजा-पाठ या व्रत नहीं कर पाते, वो भी इस महीने में पूरी नियम-निष्ठा से रहते हैं। इस दौरान अधिकांश हिन्दू घरों में मांस-मछली का निषेध रहता है और लोग सात्विक भोजन करते हैं। इस बार सावन 30 नहीं, बल्कि 59 दिनों का होगा, ऐसे में लगभग दो महीने पूजा-पाठ और खान-पान में नियमों का पालन किया जाएगा। इस साल 4 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत हो रही है। आइए जानते हैं कि सावन में किस तरह के भोजन को शुद्ध माना जाता है और इसका क्या महत्व होता है।
क्या होता है सात्विक भोजन?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन से पूरे महीने में सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इस महीने में लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा और किसी भी तरह के मांसाहार से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा शराब-सिगरेट और दूसरे नशे से भी दूर रहना चाहिए। वैसे, व्रत के दिन फलाहार करना सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन अगर भोजन बनाएं, तो इसे पूरी शुद्धता के साथ देसी घी या सरसों के तेल में बनाएं। इसके अलावा कुछ लोग पूरे सावन व्रत रखते हैं। ये लोग फलाहार कर सकते हैं या एक समय सात्विक भोजन कर सकते हैं।
सात्विक भोजन का महत्व
आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार, आषाढ़ और सावन का महीना बारिश का महीना कहलाता है। इस मौसम में हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और कई तरह की संक्रामक बीमारियां फैलने का भी डर रहता है। यह विशेष रूप से मानसून में अधिक कारगर होता है, जब पर्यावरण में वाटरबॉर्न और एयरबॉर्न बैक्टीरियल इंफेक्शंस में वृद्धि हो जाती है। इसलिए इस अवधि के दौरान उपवास करने से न सिर्फ आपका शरीर डिटॉक्स होता है, बल्कि मन भी शांत होता है। इससे न सिर्फ हमारा मन तनाव मुक्त होता है, बल्कि शरीर भी डिटॉक्स होता है।
विचारों पर भी असर
हमारे भोजन का प्रभाव विचारों पर भी पड़ता है। सात्विक खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आपको अपने मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन प्राप्त करने में मदद मिलती है। मेडिकल साइंस भी मानता है कि अधिक तेल-मसाले वाला भोजन, अत्यधिक शराब का सेवन ब्लड प्रेशर को बढ़ा देता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने पर व्यक्ति में क्रोध की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। सात्विक भोजन पचने में आसान होता है और यह हमारे शरीर को भरपूर पोषण भी देता है। दूसरी ओर, उपवास शरीर में उचित संतुलन बनाए रखने में सहायता करता है। इसलिए शरीर को डिटॉक्स करने के लिए सप्ताह में एक दिन उपवास रखने पर जोर दिया जाता है।
डिसक्लेमर
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