नर्मदापुरम मार्ग के किनारे भवन अनुज्ञा को ताक में रख तानी जा रही बहुमंजिला इमारतें

भोपाल। पुराने भोपाल में बेतरतीब निर्माण की वजह से रहवासियों को मूलभूत सुविधाएं मिलना मुश्किल हो गया। संकरी गलियों की वजह से यहां दिनभर ट्रैफिक जाम की नौबत बनती है। यदि नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते तो भविष्य में नर्मदापुरम मार्ग के हाल भी पुराने भोपाल जैसे होंगे। यहां पदस्थ भवन अनुज्ञा शाखा के सहायक यंत्री और उपयंत्री अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई की जगह इनका संरक्षण करने में लगे हैं। यदि कोई शिकायत भी करे तो कार्रवाई करने से बचते हैं।

ताजा मामला जोन क्रमांक 13 के अंतर्गत आने वाले नारायण नगर का है। यहां 4000 वर्गफीट जमीन पर भूखंड मालिक राकेश एवं सुनील जैन द्वारा बेसमेंट और भूतल समेत छह मंजिला व्यवसायिक काम्प्लेक्स का निर्माण किया जा रहा है। इसको लेकर बीते 13 अप्रैल को भवन अनुज्ञा शाखा में शिकायत की गई। जिसके बाद सहायक यंत्री एके साहनी और उपयंत्री गौरव निपसैया ने स्थल निरीक्षण किया। साथ ही संबंधित भूखंड मालिक को तीन दिवस में भवन निर्माण की अनुमति प्रस्तुत करने और निर्माण रोकने के लिए नोटिस जारी किया गया। साथ ही जबाव नहीं देने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई। लेकिन कार्रवाई नहीं की। जिससे निर्माण जारी रहा और इसका निर्माण आखिरी चरण में है।

मप्र शासन के नाम पर दर्ज है जमीन

इस मामले में सूचना के अधिकार के तहत भूखंड की जानकारी भी मांगी गई थी। लेकिन सहायक यंत्री और उपयंत्री पहले टालमटोल करते रहे। लेकिन सीएम हेल्पलाइन में शिकायत के बाद उन्होंने अपने जबाव में बताया कि यह भूमि खसरा क्रमांक नौ है, जो मप्र शासन के नाम पर दर्ज है और नजूल कार्यालय द्वारा इसमें भवन अनुमति को लेकर आपत्ति है। इसके बाद भवन अनुज्ञा के अधिकारियों ने एसडीएम कोलार को कार्रवाई करने के लिए अग्रेषित किया। लेकिन दो माह का समय बीतने के बाद भी सरकारी जमीन पर बन रही इस इमारत का निर्माण रोकने में ना तो जिला प्रशासन और ना ही नगर निगम के अधिकारियों ने दिलचस्पी दिखाई।

अवैध निर्माण पूरा हो गया, लेकिन नहीं हुई कार्रवाई

जोन क्रमांक 13 में स्थित भवन क्रमांक 106 विद्यानगर फेस टू में भूमि स्वामी द्वारा भवन अनुमति के विपरीत एमओएस 32.64 स्क्वायर मीटर और एफएआर 319 स्क्वायर मीटर अतिरिक्त निर्माण किया गया है। हालांकि इस निर्माण का अवैध मानते हुए सहायक यंत्री ने फरवरी 2023 में अतिरिक्त निर्माण गिराने का नोटिस दिया था। लेकिन चार माह बीतने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई, जबकि निर्माण पूरा हो गया।

आवासीय अनुमति में बन रहा सात मंजिला अस्पताल

इधर मिसरोड में वसुंधरा गार्डन के पास आवासीय भवन की अनुमति लेकर सात मंजिला अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन इसको भवन अनुज्ञा शाखा के अधिकारी व्यवसायिक काम्पलेक्स नहीं मान रहे हैं। जबकि अस्पताल संचालन के लिए रजिस्ट्रेशन के साथ कामर्शियल लायसेंस लिया जाता है। लेकिन अधिकारी अवैध निर्माण को बचाने में लगे हैं।

नोटिस देने के बाद कार्रवाई से बच रहे जिम्मेदार

हालांकि अवैध अतिक्रमण की शिकायत होने के बाद अधिकारी संबंधित संपत्ति मालिक को धारा 307 के तहत 15 दिन में अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी करते हैं। लेकिन निर्धारित अवधि में जबाव प्रस्तुत नहीं करने के बावजूद अधिकारी अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करना भूल जाते हैं। वहीं व्यवसायिक इमारतों का निर्माण करने के बाद बिल्डर इसे दूसरे लोगों को बेच कर निकल लेते हैं। लेकिल खरीदार इसका खामियाजा भुगतते हैं।

इनका कहना है

नारायण नगर में राजस्व विभाग द्वारा भवन अनुज्ञा की अनुमति पर प्रतिबंध है। ऐसे में यहां यदि अवैध निर्माण होता है, तो कार्रवाई की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। अन्य स्थानों पर जमीनी हकीकत जानने के बाद उचित कार्रवाई होगी।

– नीरज आनंद लिखार, मुख्य नगर निवेशक

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