इंदौर। सरकार को मंदसौर गोलीकांड की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करना पड़ेगी या नहीं, इस संबंध में शुक्रवार को मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में सुनवाई होना है। शासन का कहना है कि उसे रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। पिछली सुनवाई पर शासन की ओर से प्रस्तुत जवाब में याचिका को यह कहते हुए निरस्त करने की मांग की गई कि याचिका चलन योग्य ही नहीं है। अब देखना यह है कि शुक्रवार को सुनवाई में क्या होता है। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि वे अंतिम बहस के लिए भी तैयार हैं।
गौरतलब है कि किसान आंदोलन के दौरान 6 जून 2017 को मंदसौर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोली चलाई थी। इस गोलीकांड में 5 किसानों की मृत्यु हो गई थी। इस मामले की जांच के लिए शासन ने हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जेके जैन की अध्यक्षता में “जैन आयोग” का गठन किया था। इस एक सदस्यीय आयोग ने कलेक्टर कार्यालय में सुनवाई की। आयोग ने अलग-अलग बिंदुओं पर सभी से बात की।
सभी पक्षों के बयान लेने के बाद आयोग ने रिपोर्ट तैयार की और 13 जून 2018 को इस जांच रिपोर्ट को शासन के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। जांच आयोग द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के 6 माह के भीतर शासन को इसे विधानसभा के पटल पर रखना था। इस संबंध में पूर्व में चल रही जनहित याचिका में शासन ने खुद कोर्ट में आश्वासन भी दिया था कि रिपोर्ट मिलते ही विधानसभा पटल पर रख दी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इस पर पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने एडवोकेट प्रत्युष मिश्रा के माध्यम से दोबारा जनहित याचिका दायर की। कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए शासन से पूछा था कि वह बताए कि रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं की गई। पिछली सुनवाई पर शासन ने अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया था। इसमें याचिका निरस्त करने की मांग करते हुए कहा है कि यह चलने योग्य ही नहीं है। इसी मुद्दे पर शुक्रवार को बहस होना है।
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