बिलासपुर। मौसम में ठंडक घुलने के बाद शहरवासियों ने अपने यार- परिवार के साथ सैर-सपाटे पर निकलने का प्लान बनाना शुरू कर दिया है। वर्षा तेज होने के बाद से प्रकृति प्रेमी अपने मंडली या फिर पूरे परिवार के साथ जंगल-घाटी, डेम, झरने व अन्य पर्यटन स्थल पर बड़ी संख्या में पहुचेंगे।
लेकिन इस सैर- सपाटे में उन्हें सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि इस मौसम में कई बार दुर्घटनाएं हो जाती हैं। तेज वर्षा से इन स्थलों में फिसलन, डेम, सरोवर, झरना आदिका जलस्तर बढ़ने से ये खतरनाक हो जाते हैं। ऐसे इस तरह के स्थल में जाने पर और मजा मस्ती करने के दौरान सावधानी बरतने और प्रशासन के द्वारा बनाए गए सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे इस सैर सपाटे के मौसम को जीवन के यादगार लम्हे बनाया जा सके।
मानसून पहुच चुका है और अब झमाझम वर्षा हो रही है। ये वर्षा गर्मी से राहत दो दिला रहा है, साथ ही ये सुहाना मौसम मन में उमंग भी भर दे रहा है और इसी के साथ वर्षा में भीगने के साथ ही सैर सपाटे का मौसम शुरू हो गया है। लोग बड़ी संख्या में घर से निकल कर आसपास के पर्यटन स्थल पर पहुचेंगे।
इसमे भी सबसे ज्यादा प्रिय झरना, डेम और प्राकृतिक सरोहर और नदी बनेंगे, क्योंकि लगातार वर्षा से इनकी सुंदरता पर चार चांद लग जाता है, जिसकी सुंदरता देखते ही बनता है और यह लोगों को सहस रूप से अपने ओर खींचता है। पर यहां जाने पर अब सावधानी बरतना भी जरूरी हो जाता हैं, क्योंकि लगातार इन क्षेत्रों में पानी गिरने से जमीन गीली हो जाती है और पहाड़ी इलाका होने की वजह से यह खतरा साबित होता है।
इसी चटान, पानी वाली जगह के स्थान पर फिसलन आ जाता है, जो भी खतरनाक साबित होता हैं। साथ ही जहरिले जीव जंतुओं का भी डर रहता है। इसके अलावा आवश्यकता से ज्यादा भीगने पर बीमार होने का खतरा अलग से रहता है। इसलिए इस मौसम में सावधानी बरत कर ही इस मौसम में अपने पसंदीदा जगह जाकर इंजॉय करना चाहिए।
चिकनी मिट्टी से दूरी बनाए
ऐतिहासिक स्थलों पर अक्सर ऐसी मिट्टी मिल सकती है, जो बेहद चिकनी होती है। जिस पर चलना खतरे को बुलावा देना होता है, पैर फिसलने से अक्सर दुर्घटनाएं हो जाती है। इसलिए जब भी किसी स्थल पर जाएं और वहां चिकनी मिट्टी नजर आए तो दूरी बनाएं।
झरने पर बरते खास सावधानी
कुछ युवाओं को बारिश के मौसम में झरनों की तलाश रहती है। जब बारिश शुरू होती है तो वे वहां की ओर निकल पडती है। यह स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है, क्योंकि झरने से बहता पानी किसी एक दिशा का नहीं रहता है। वह कई जगहों से बहकर आए पानी की धाराओं का एक स्वरूप होता है। तेज बारिश होने पर कई स्थलों का पानी रौद्र रूप लेकर झरनों की तरफ बढ़ता है, जिससे बहाव तेज हो जाता है। यह बहाव झरने से नीचे गिरता है और किसी को भी अपने चपेट में ले सकता है।
पहले निर्देशों को पढ़ें
सैलानियों की सुरक्षा के लिए हर ऐतिहासिक स्थलों पर सुरक्षा से जुड़े बिंदु बोर्ड पर चस्पा कर दिए गए हैं। घूमने से पहले वहां के बारे में जाना जा सकता है। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो एक बार संबंधित स्थल के बोर्ड पर लिखे निर्देशों को पढ़ें।
प्रतिबंधित स्थल पर न जाए
अक्सर ऐसे स्थलों के कई क्षेत्र को डेंजर जोन घोषित किया जाता है। जहां पर प्रशासन स्तर पर चेतावनी बोर्ड या प्रतिबंधित स्थल का बोर्ड चस्पा किया जाता है। ऐसे में उस पर पूरा ध्यान दे, जिला प्रशासन ने बोर्ड लगाया है तो जरूर कुछ न कुछ खतरा होगा। ऐसे इन स्थानों पर बिलकुल भी न जाएं।
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