एफडीआर तकनीक से बनाई गई मध्य प्रदेश की पहली सड़क डेढ़ माह में ही टूटी

सीहोर। फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से प्रयोग के तौर पर सीहोर से श्यामपुर तक बनाई गई प्रदेश की पहली सड़क डेढ़ माह में ही क्षतिग्रस्त हो गई। जबकि दावा किया गया था कि इस सड़क की मजबूती दोगुना है। सीहोर से श्यामपुर तक 24.30 किमी लंबी और छह मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण एफडीआर तकनीक से 29 करोड़ रुपये की लागत से चंडीगढ़ की गर्ग संस ई स्टेट प्रोमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया था। जिस पर मई माह के पहले सप्ताह में यातायात शुरू कर दिया गया था। डेढ़ माह में ही यह सड़क जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई है।

सड़क को ठीक करने के निर्देश दिए गए

पेट्रोल पंप के सामने पुलिया और निपानिया जोड़ के पास सड़क धंस भी गई है। गर्ग संस ई-स्टेट प्रोमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड के सहायक अभियंता (एई) प्रशांत गुप्ता का कहना है कि सड़क ज्यादा खराब नहीं हुई है। जहां खराब हुई है, वहां सुधार किया जा रहा है। इधर, कलेक्टर प्रवीण सिंह का कहना है कि सड़क क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिली है। सड़क को ठीक कराने के निर्देश दिए गए हैं।

यह है एफडीआर तकनीक

फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) एक रिसाइकिलिंग पद्धति है। इसमें बहुत ही कम संसाधनों में टिकाऊ सड़कें बनाई जा सकती हैं। खराब हो चुकी पक्की सड़क को उखाड़कर उससे निकलने वाले मटेरियल में केमिकल मिलाकर नया मटेरियल तैयार किया जाता है और फिर उसे सड़क पर डाला जाता है।

इसके बाद हवा के प्रेशर से अच्छी से सड़क की धूल को साफ करने के बाद उस पर फैब्रिक कपड़े को बिछाया जाता है, ताकि वह नमी को सोख ले। डामर का छिड़काव करने के बाद फिर मटेरियल डालकर रोलर घुमाया जाता है। सामान्य तकनीक से छह मीटर चौड़ी और एक किलोमीटर लंबी सड़क बनाने में करीब सवा करोड़ रुपये का खर्च आता है, जबकि एफडीआर पद्धति से सड़क के निर्माण में 40 से 50 प्रतिशत कम लागत आती है।

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